वजन बढ़ाती मशीन
डायटीशियन का दिया डाईट चार्ट पढ़ा था । इतना कम खाकर आदमी पतला होगा कि नहीं यह तो पता नहीं , मगर यह खाना खाकर उसे चार कंधों पर सवारी करने से कोई भी रोक नहीं सकता । मैंने उस डाइट प्लान का मजबूरी में हूबहू पालन किया था । कहते हैं कि मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी है । मैं मजबूर था वह वेस्वाद खाना खाने के लिए । जिस भोजन में तेल घी न हो उसे तो बीस फीट लम्बे बाँस से भी छूने का मन नहीं करता । एक महीने के बाद जब मैं मगन मन होते हुए वजन वाली मशीन पर चढ़ाई की तो मशीन ने बेवफाई कर दी । उसकी सुई ने वही दिखाया जो मैं देखना नहीं चाहता था । वजन पहले की अपेक्षा बढ़ गया था । वजन मशीन मेरे चढ़ने पर डरती है , इसलिए वजन बढ़ाकर बताती है ताकि मैं थक हारकर उस पर चढ़ना बंद कर दूं और वह मौज करे । लेकिन " तू डाल डाल तो मैं पात पात " की रश्म निभाने में रमा था । मैं पार्क में जाकर जाॅगिग करता , दौड़ लगाता , अनुलोम विलोम , कपाल भाँति करता , कमरे में आकर फिर एक्सरसाइज़ करता । खान पान में सही से परहेज करता । जब वजन लेने की बारी आती तो मशीन मोहतरमा दगा दे जाती थी । वजन मशीन पतले लोगों के हक में होती है । उनक