बाद मुद्दत के उन्हें देखकर यूँ लगा

 बीटीसी भानु आई टी बी पी से फोन था । पता चला कि आई जी पी एस पपटा ने डिनर पर सेवानिवृत्त अधिकारियों को बुलाया था । सुनकर बहुत अच्छा लगा । जिंदगी एक ढर्रे पर चल रही थी । अब सर्विस के दौरान के नये/पुराने दोस्तों से मिलकर जीवन में कुछ हलचल होगी । बीती बातों की कहानियाँ बीटीसी भानु की फिजाओं में तैरेंगी । हम जैसे बुजुर्गों के नीरस जीवन में सरसता का उद्भव होगा । शांत पड़े जीवन सरोवर में कुछ तो हलचल होगी । सेवानिवृत्त लोगों के जीवन पर बालसरुप राही का ये शे'र बहुत कुछ कह जाते हैं -

बुजुर्गों में हमारा नाम भी शामिल हुआ शायद                        पड़े हैं एक कोने में गजब फुर्सत के दिन आएं

चलो " राही " आज पुराने दोस्तों के पास हो आएं                  कुछ तो तस्सली दिल की हो बड़ी आफत के दिन आएं

तय हो गया कि जाना है । 5 फरवरी को 6 बजे आई टी बी पी की गाड़ी आई । मैं तो तैयार था , पर श्रीमती जी तैयार होने में समय लगा रहीं थीं । मुझे कान में बहुत ठंड लगती है । एक अदद टोपी की दरकार थी । लेकिन श्रीमती जी से टोपी मांगना बर्रे के छत्ते पर हाथ लगाने के बराबर था । एक पुरानी टोपी मिली । उसी को पहनकर चल दिए ।

रास्ते में डाक्टर रामेंद्र सिंह को पिकप किया । उनकी श्रीमती से हमारी श्रीमती जी की पुरानी जान पहचान थी । वे दोनों बातों में मशगूल हो गयीं । डाक्टर साहब से भी मेरी मुलाकात बहुत दिनों बाद हुई थी । तकरीबन 12 साल बाद । वे 2008 में मेडिकल करने मसूरी आए थे । तब से 2021 में मुलाकात हुई । इस खुशी में जगजीत सिंह की गाई गजल की दो शे'र उद्धृत कर रहा हूँ -

बाद मुद्दत उन्हें देख कर यूँ लगा
जैसे बेताब दिल को क़रार आ गया

आरज़ू के गुल मुस्कुराने लगे
जैसे गुलशन में बहार आ गया

बीटीसी भानु पहुँचकर हमारा बैंड बाजे से स्वागत हुआ । मुख्य द्वार पर हमारे स्वागत में आई जी श्री पापटा खड़े थे । इस तरह का स्वागत किसी भी सेवानिवृत्त अधिकारी को भाव विह्वल करने के लिए काफी था । बहुत से बिछड़े लोगों से हमारी मुलाकात हुई । श्री मनोज सिंह रावत एडिशनल डी जी, , श्री हरटा आई जी मेरे गहरे पहचान वालों में से थे । श्री मनोज सिंह रावत के मातहत मैं मसूरी में रहा था । 

मैं श्री हरटा के मातहत आई टी बी पी के लद्दाख , उत्तरकाशी , चण्डीगढ़ और मसूरी तक रहा था ।  जब हम उनसे मिले तो बड़ी गर्मजोशी थी । साथ में पुराने दिनों की यादें थीं । लेकिन सबसे मिलना था । उनके साथ कुछ लमहे हीं गुजारे । उनकेे साथ कुुुछ फोटो खिंचवाए । फिर बहुत से लोगोंं से मिला । कुछ जानेे पहचाने थे । कुछ अनजानेे से । बी टी सी भानु के    कमाण्डेंट श्री विक्रांत थपलियाल से भी मिला । वे बड़ेे गर्मजोशी सेे मिले थे । मुझे बुुुुलाने के लिए उन्होंने मेरे बैचमेेट  सुभाष गुुुुप्ता से मेेेरा फोन नम्बर लिया था । वे मेरे साथ किमिन में रहेे थेे।  

मेरे अजीज दोस्त श्री कस्तूबानंद पंत से भी मुलाकात हुई । उनकी प्रोन्नति होने में कुछ दिक्कत थी । बेचारे दुखी थे । मुझे भी बहुत दुःख हुआ । जे न मित्र दुःख होंहि दुःखारी , तिनहीं बिलोकत पातक भारी । जब तक मैं उनके साथ रहा । वे दुःखी व चिंतित हीं दिखे । डी आई जी अश्विन ने खुद आकर अपना परिचय दिया । मुझे उनकी यह सादादिली बहुत भाई । उनसे एकाध बार मसूरी में मुलाकात हुई थी । बुढ़ापे के कारण स्मृति लोप होना लाजिमी है । 

चण्डीगढ़ व उसके आस पास के सेवानिवृत्त अधिकारी भी पहुँचे थे , जिनमें आई जी श्री राणा , डी आई जी एन के मिश्रा, कमाण्डेंट बलबीर सिंह चौहान और कमाण्डेंट राज सिंह प्रमुख थे । इन महानुभावों से मैं अक्सर चण्डीगढ़ के आफिसर मेस में सेवानिवृत्त बैठकों में मिलता रहता हूँ । कोरोना के डर की वजह से इन सबसे बहुत दिनों से मुलाकात नहीं हुई थी । उनसे इतने दिनों बाद मुलाकात हुई तो बहुत अच्छा लगा ।

मुझसे इंजीनियरों का एक दल भी मिला । डी सी शिव कुमार , डी सी मुकेश त्यागी , डी सी नायक , ए सी हरि मोहन । ये चारों  ट्रेनिंग करने आए थे । एक और इंजीनियर थे जो बी टी सी भानु में पोस्टेड थे । उनका नाम याद नहीं आ रहा । डी सी शिव कुमार ने मुझे बड़े मनुहार से दो तीन बार काफी पिलवाई थी । वे मेरे साथ कहीं नहीं रहे , पर यदा कदा उनसे भेंट होती रही है । डी सी मुकेश त्यागी बड़े खुश दिल इंसान हैं । वे अब भी वैसे हीं चहक रहे थे । 

डी सी नायक जब मसूरी ट्रेनिंग कर रहे थे तब उनसे मेरी मुलाकात हुई थी । उसके बाद भी हमारी एकाध बार मुलाकात हुई थी । वे भी बड़ी गर्मजोशी से मुझसे मिले थे । ए सी हरिमोहन तो जब तक मैं वहाँ रहा मेरे साथ हीं रहे थे । वे कवि हृदय हैं । उन्होंने कुछ कविताएँ मेरे ह्वाट्सप पर भेजी हैं । उन्हें पढ़ा । अच्छी कविताएं हैं।

दो तीन घण्टे हम वहाँ रहे । पीने पिलाने के बाद खाने का दौर चला । खाना बेहद लजीज था , पर हमने सीमित मात्रा में हीं खाया । बिन खाए मोटा हो रहे हैं तो खाकर गैंडास्वामी तो बनना हीं है । 

अब चलाचली का समय आ गया । गाड़ियाँ लग गयीं थीं । आई जी श्री पपटा खुद सारे मेहमानों को एक एक कर के अलविदा कह रहे थे । मुझे भी उन्होंने विदाई दी । हम गाड़ी में बैठे । गाड़ी चल पड़ी । दिल कह रहा था कि मैं जोर से चीखूं - पापटा सर जिंदाबाद ! पपटा सर के कारण हीं हम इतने सारे सेवानिवृत्त और सेवा में लगे लोगों से मिल पाए थे । 

 

टिप्पणियाँ

  1. बहुत अच्छा लगा सर आप जैसे श्रेष्ठ अपने वरिष्ठ जनों से मिलकर, आपको बारम्बार प्रणाम।

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  2. It would have been Very nice meeting, I missed. Isn't it Sir? All the Sr Retd Officers and Sr Serving Officers Together in a Meeting.. Hearty thanks, Best wishes and Regards to Shri Papta Sir IG ITBP, for a great Meeting cum Dinner.

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  3. पढकर बहुत अच्छा लगा की आज भी सेवा निवृत्त लोगो के प्रती यह भावना व्यक्त की गयी . very good gesture by working officers towards pensioners. I am far away from our people as nobody is staying in Hyderabad.so i m missing this hospitality here.

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