हे चमगादड़ मेरे !

 हे चमगादड़ मेरे ! जब तुम उल्टा लटकते हो तो तुम्हें लगता है कि तुमने पूरी कायनात को पलट दिया है । तुम अपने को केवल सीधा मानते हो । इस बार तो तुमने सचमुच हीं पूरी कायनात पलट दी है । भयंकर तबाही मचा रखी है । लोगों को घरों में कैद कर दिया है । जो बाहर निकलते हैं , वे मास्क पहनकर निकलते हैं । तुम्हारे चलते एक नयी बीमारी ईजाद हुई है । इसे कोरोना कहते हैं ।

हे चमगादड़ मेरे ! तुम्हारा सूप पीकर जब चाइनीज लोग परमानंद की तृप्ति पा रहे थे । तब उन्हें तुमने उनकी औकात दिखा दी , लेकिन दुःख की बात है कि तुम्हारी दी हुई बीमारी हमारे देश में भी आ गयी । इसका कारण ढूंढने पर पता चला कि तुम एक सामाजिक प्राणी हो । मनुष्यों से तुम्हारी घनिष्टता है । तुम उनके घर के पास के पेड़ों पर उल्टा लटकते हो । किसी बीरान घर को आबाद करते हो । ऐसे में तुम्हारी यह बीमारी भी सामाजिकता से अछूती नहीं रही ।

हे चमगादड़ मेरे ! कोरोना महामारी की तरह फैल रहा है । इसे सबसे मिलने की बीमारी है । यह बीमारी तुलसीदास की तरह सबसे मिलती जुलती है । इसे भी नर के माध्यम से नारायण से मिलने की जल्दी मची रहती है -

तुलसी इस जग में आय के सबसे मिलिए धाय                        ना जाने किस वेश में नारायण मिल जांय ।

हे चमगादड़ मेरे ! तुम्हारा कोरोना तभी खत्म होगा , जब तुम चाहोगे । तुम्हारे शरीर में एण्टी बाॅडीज पाई गयी है । तुम्हारे खून में कोरोना वायरस से लड़ने का माद्दा है । यदि इस एण्टी बाॅडीज से टीका तैयार होता है तो कोरोना का रोना समाप्त हो सकता है । कोरोना वायरस तो हजारों साल से तुम्हारे शरीर में मौजूद था , लेकिन किसी ने इस पर शोध नहीं किया । अब तुम्हारी समाजिकता हमें रुला रही है । केन्या में घरों के हर छेद को बंद किया जा रहा है ताकि तुम्हारा प्रवेश वर्जित किया जा सके ।

हे चमगादड़ मेरे ! कगारु मीडिया ने 2018 में कहा था -

" टीम इंडिया चमगादड़ की तरह से डरपोक होती है । "

शुक्र है यह बात कंगारू मीडिया ने 2020 में नहीं कही । तुम् उन्हें आनन फानन में उनकी औकात दिखा देते । उन्हें पता चल जाता ई चमगादड़ डरपोक नहीं होते । चमगादड़ के पास कोरोना है । कोरोना एक ऐसा ब्रह्माशस्त्र है जिसके आगे कंगारु मीडिया घुटने टेक देगा । अब कंगारु मीडिया को डरपोक की उपमा देने के लिए किसी दूसरे जानवर की तलाश करना होगी । दरख्त पर उल्टा लटका चमगादड़ अब इतराने लगा है । वह डरपोक नहीं है ।

हे चमगादड़ मेरे ! तुम अवसरवादी हो । जब पशुओं और पक्षियों में लड़ाई होती है तो तुम उसका साथ देते हो , जिसका पलड़ा भारी होता है । कभी तुम पशु बन जाते हो , क्योंकि तुम्हारे पास दांत हैं । तुम अपने बच्चों को दूध पिलाते हो । कभी तुम अपने को पक्षी की श्रेणी में ला खड़ा करते हो। कारण तुम्हारे पास पंख है और तुम उन्मुक्त आकाश में विचरण कर सकते हो । ऐसी हालत में तुम किसी के नहीं हो पाते । पशु पक्षी दोनों ने तुमसे दूरी बना रखी है । न तुम तीन में हो ना तेरह में । इसीलिए तुम्हें उल्टा लटकने की सजा मिली है । 

 हे चमगादड़ मेरे ! जो दूसरे की बुराई करते हैं , वे चमगादड़ का जनम लेते हैं । जो तुम्हारी बुराई करेगा वह कौन सा जनम लेगा ? मेरे विचार से वह कोई जनम नहीं लेगा । उसे स्वर्ग नसीब होगा , क्योंकि तुमने बहुत गदर मचा रखा है । तुम्हारा दीन ईमान सब बिक चुका है । कोरोना को फैलाने में सरासर तुम्हारा हाथ है ।  हम तुम्हारे साबूत नेस्तनाबूद होने की कामना करते हैं । 

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