आजानुबाहु

 आम तौर पर लोगों के हाथ कमर और घुटनों के बीच होते हैं ।कई लोगों के हाथ घुटनों तक या घुटनों के नीचे तक पहुँच जाते हैं । ऐसे लोगों को अजानुबाहु कहा जाता है । जानु का मतलब घुटना होता है । बाहु मतलब हाथ । आ मतलब तक । आ+जानु + बाहु । अर्थात् जिनके घुटनों तक पहुँचते हैं, उनको आजानुबाहु कहा जाता है । ऐसे लोग करोड़ों अरबों में एक होते हैं ।

राम भी आजानुबाहु थे । आजानुबाहु होने के कारण हीं वे श्रेष्ठ धनुर्धर थे । वे धनुष पर वाण चढ़ाकर जब प्रत्य॔चा खींचते थे तो शर्तिया तौर पर लक्ष्य का भेदन होता था। राम के आजानुबाहु होने के बारे में बहुत लोगों को पता नहीं है । वाल्मिकी रामायण में इसका जिक्र किया गया है -

" अजानुबाहु : , सुशिरा , सुललाट , सुविक्रमः ।"

राजा रवि वर्मा ने भी अपने चित्रों में राम को सामान्य हीं दिखाया है ।

अर्जुन भी आजानुबाहु थे । उनको " महाबाहो " कहा गया है । महाबाहो का मतलब लम्बी भुजाओं वाला होता है । अर्जुन भी श्रेष्ठ धनुर्धर थे । उनको भी आजानुबाहु होने के कारण धनुष चलाने में विशिष्ट प्रवीणता प्राप्त थी । उनको दोनों हाथों से धनुष चलाने में महारथ हासिल थी । इसलिए उनको सव्यसाची भी कहा गया -

उभै ये दक्षिणौ पानी गाण्डीवस्य विकर्षणे                                तेन देव मनुष्येषु सब्यसाचीत मा विदुः ।

बुद्ध को भी आजानुबाहु कहते हैं । स्वामी समर्थ भी आजानुबाहु थे । उन्होंने चीन के एक जोड़े का मान मर्दन किया  था । चीनी जोड़े प्रेमालाप में मगन थे । वे स्वामी समर्थ को देखकर भी अंजान बनने की कोशिश कर रहे थे । ऐसे में स्वामी जी उनके पास गये  । उन्हें समझाया कि प्रेम करना एक निहायत हीं निजी मामला है । इसे कभी भी सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए । इससे इसकी मर्यादा खोती है । तब उस जोड़े ने स्वामी  समर्थ से माफी माँगी थी ।

महात्मा गाँधी भी आजानुबाहु थे । वे भी एक अति विशिष्ट व्यक्ति थे । उनके जमाने में तीर धनुष नहीं होते थे । इसलिए वे श्रेष्ठ धनुर्धर नहीं बन पाए , मगर उनके पास दो श्रेष्ठ हथियार सत्य एवं अहिंसा थे ; जिनकी कोई काट आज भी दुनियां में कहीं नहीं है । नोबेल पुरस्कार प्राप्त महान साहित्यकार रोम्या रोलां ने महात्मा गाँधी की तुलना महान दार्शनिक सुकरात से की है । सुकरात भी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे । दोनों की अच्छाई उनके विचार थे । दोनों हीं अपने इन विचारों पर कुर्बान हो गए थे ।  सुकरात को जहर का प्याला पीना पड़ा था और महात्मा गाँधी को गोली खानी पड़ी थी ।

सीधे खड़े होने पर विना झुके जब हाथ इतना नीचे चला जाय कि आदमी के हाथ उसके घुटने छूने लगे तो उसको आजानुबाहु कहते हैं । कुछ लोग इस " आजानुबाहुता"को विकलांगता की निशानी मानते हैं ।


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