फेसबुक की दोस्ती जी का जंजाल

 आजकल फेसबुक पर पांच हजारी दोस्ती का आंकड़ा छूने की बड़ी कवायद चल रही है । केवल चेहरा देखकर हीं लोग फ्रेण्ड बना ले रहे हैं । दिल सच्चा हो सकता है , पर चेहरा अक्सर झूठा होता है । दिल तो दिखाई नहीं देता । हाँ , चेहरा जरुर दिखाई देता है । लोग चेहरे पर मर मिटते हैं । उसे दोस्त बनाने के लिए लालायित हो उठते हैं । फेसबुक पर बनी प्रोफाइल पिक झूठी भी हो सकती है ।

आप में से बहुतों के पास भी पाँच हजारी दोस्तों का भण्डार होगा , लेकिन सक्रिय होंगे केवल सौ सवा सौ । कुछेक तो पाँच हजारी के साथ साथ फालोवर भी रखते हैं । उनके पास लाइक कमेण्ट हजारों में आते हैं । मेरे भी गुड मार्निंग और गुड इवनिंग वाले दोस्त हैं , जो सुलाते हैं तो जगाते भी हैं । मेरे पास भी सौ सवा सौ के करीब आभासी दुनियां वाले दोस्त हैं , जिनसे हाय हेल्लो होती रहती है । लेकिन नजदीकी दोस्त उंगलियों पर गिने जा सकते हैं । नजदीक के दोस्त बनने में समय लगता है ।दोस्ती इम्तिहान लेती है । परीक्षा में पास होने पर हीं सच्चे दोस्त मिलते हैं ।

फेसबुकिया दोस्त किसी विपत्ति में रस्मी दोस्ती निभाते हैं । वे सांत्वना भी देते हैं तो डरते डरते । वे सोचते हैं कि यदि तहेदिल से सांत्वना दे दिया तो कहीं यह फेबिकोल की तरह उनसे चिपक न जाय । इसलिए वे नपे तुले शब्दों में अपनी बात कहते हैं और तत्क्षण हीं चलते बनते हैं । यदि आप जल्द हीं चार कंधों की सवारी करने वाले हैं तो ऐसी हालत में फेसबुकिया दोस्त काम नहीं आएंगे । काम आएंगे तो आपके पड़ोसी , जिनसे आप सीधे मुंह बात तक भी नहीं करते ।

फेसबुक पर बूढ़े जवान बने रहते हैं । लाइक / कमेण्ट के चक्कर में जवान प्रोफाइल पिक लड़कियों का डालते हैं । ऐसे लोगों को थोक के भाव में लाइक / कमेण्ट मिलते हैं । और आप महानुभाव अपनी पोस्ट की बेकद्री पर अक्सर रोते बिसूरते रह जाते हैं । थोक के लाइक / कामेण्ट से उन्हें क्षणिक सुख मिलता है , पर एक दिन कलई खुलकर हीं रहती है । पता चलता है कि अमुक तो रंगा सियार है । लड़का होकर भी लड़की बना फिर रहा है । 

आभासी दुनियां में आप चेहरा देखकर किसी के व्यक्तित्व का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं । अक्सर अंदाजा गलत होता है । फेसबुकिया दोस्त एक 65 साला वृद्धा थी । वह एक जवान लड़की का प्रोफाइल फोटो लगाकर एक जवान लड़के से चैट करती थी । कुछ दिनों बाद दोनों की मुलाकात हुई । लड़का वृद्धा को देखकर अचम्भित रह गया । यह बात वृद्धा को अखर गयी । उसने हथौड़ी से मार मारकर लड़के का सिर लहुलुहान कर दिया । वृद्धा के पर्स में मिर्ची पाउडर भी था । यह तो एक बानगी है । ऐसे हजारों किस्से भरे पड़े हैं । कभी कभार हीं ऐसा होता है कि फेसबुक की दोस्ती प्यार में बदलती है और यह प्यार जनम जनम के बंधन में तब्दील होता है । 

फेसबुक पर दोस्त कम रखें । ज्यादातर दुश्मन दोस्त हीं रखें । पाँच हजारी बनने के चक्कर में न पड़ें । आपकी पोस्ट पाँच हजार लोगों के पास नहीं पहुँचेगी । ऐसे में कम दोस्त हीं काम आएंगे । पोस्ट केवल राजनीतिक हीं डालें । इससे आपकी पोस्ट पर दोस्त और दुश्मन का मजमा लगने लगेगा । लोग आपस में उलझेंगे और जनाब आप तमाशा देखेंगे । तू तड़ाक से शुरू हुई बात गाली गलौज तक जा पहुँचेगी । आपकी पोस्ट पर ढेर सारे लाइक व कामेण्ट आएंगे और आप मगन मन तिकिता धिकी धिकी गाने शुरू हो जाएंगे ।




टिप्पणियाँ

  1. प्रणाम सर जी बहुत बढ़िया लिखा आपने गुड मार्निग ओर गुड नाईट वाले मेस्सज बहुत दिमाग खराब करते हैं ।

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  2. फ़ोनवार्ता में सत्य साझा करने के लिए अशीर्वादम
    उस कवि का नाम जो घुमक्कड़ भी है, याद आने पर लिख दीजियेगा

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