हाथ का साथ हमेशा रहना चाहिए
बहुत से लोगों ने हाथ धोना सीख लिया है । इस सीख में कोरोना का हाथ है । लोग हाथ धोने के पीछे हाथ धोकर पड़ गये हैं । इस हाथ धोने में हाथ के साथ साथ पानी और साबुन का भी बंटाधार हो रहा है । 24 घंटे में केवल 8 घंटे हीं हाथ को आराम मिलता है । वह भी तब जब हम सो रहे होते हैं । कहते हैं कि जल हीं जीवन है । इस जीवन को हम हाथ धोकर बरबाद कर रहे हैं । साबुन और सेनेटाइजर्स का खर्चा अलग से हो रहा है । हाथ न धोने पर घर वाले हीं आड़े हाथों ले लेते हैं । उनका कहना है कि जान से हाथ धोने से बेहतर है हाथ धोना ।
कोरोना काल में लोगों ने हाथ मिलाना भी बंद कर दिया है । गले मिलना तो दूर की बात है । अभी पिछले महीने सेवानिवृत्त अधिकारियों की मीटिंग थी । अधिकांश अधिकारी कुहनी मिला रहे थे । कुछ मुक्के से मुक्का मिला रहे थे । कोरोना काल में कुछ कांग्रेसी भाजपा में जा मिले हैं । वे भी हाथ नहीं मिला रहे हैं । डर तो कोरोना का है , पर बहाना है कांग्रेस के चुनाव चिन्ह हाथ का । उनका कहना है कि हाथ मिलाने से उन्हें कांग्रेस के हाथ की याद आ जाती है ।
कोरोना काल में पेट्रोल का दाम सौ पार कर गया है । सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं । उसका कहना है कि पेट्रोल की कीमत कम करना उसके हाथ में नहीं है । सरकार के हाथ खींचते हीं लोगों ने हाथ पाॅव मारने शुरू कर दिए हैं । लेकिन सरकार कोई रियायत देने को तैयार नहीं है । सरकार की नकेल किसके हाथ में है , पता नहीं । वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पेट्रोल की कीमत दो सौ के पार भी पहुँच जाय तो भी वे सरकार के साथ हैं ।
विजय माल्या , नीरव मोदी और मेहुल चौकसी बैंकों के पैसों पर हाथ साफ कर गये । बैंकों के हाथ खाली हो गये और सरकार के हाथों के तोते उड़ गये । मीडिया ने इस खबर को हाथों हाथ लिया । टी बी डिबेट शुरू हो गये । किसी को इसमें कांग्रेस का हाथ नजर आ रहा था तो कोई सरकार को कोस रहा था । जो भाग गये थे , उनके दोनों हाथों में लड्डू थे । जिस देश में भागकर गये , वहाँ की नागरिकता मिली और मोटा माल मुफ्त में हाथ आया ।
कोरोना काल में बेटियों के बाप बहुत चिंतित हैं । उनको अपनी कन्याओं के हाथ पीले करने हैं , पर कोरोना में वे बाहर कम हीं निकल पाते हैं । बाहर निकलने पर हीं अच्छे घर वर की तलाश हो सकती है । बेटी का हाथ किसी ऐरे गैरे के हाथ में तो नहीं सौंपा जा सकता । बेटी का हाथ मांगने वालों की तादाद कम हीं होती है । सब चाहते हैं कि बेटी का बाप खुद पहल करे । इस पहल में दान दहेज का भी हाथ छुपा होता है । खैर , भगवान भगवान कहकर किसी तरह बेटी के हाथों में मेंहदी सजती है । बेटी डोली चढ़ती है । कोई खुश होता है । कोई हाथ मलता रह जाता है ।
शोले फिल्म में ठाकुर ने कहा था - " ये हाथ नहीं फांसी का फंदा है ।" गब्बर ने जवाब दिया था - ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर !" हाथ मांगने वाला गब्बर मशहूर हो गया । पूरी फिल्म गब्बर के ईर्द गिर्द घूमती है । गब्बर सिंह फिल्म को हिट करा देता है। अपना हाथ जगन्नाथ होता है । फिल्म निर्देशक को ठाकुर का हाथ गब्बर को नहीं दिलाना चाहिए था । हाथ देने से आदमी दीन हीन श्रीहीन हो जाता है । हाथ है तो हम हैं । हाथ हमारे साथ हमेशा रहना चाहिए ।
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