कचरा प्रबंधन

 कचरे की समस्या हर शहर में है । इलाहाबाद शहर में कचरे की समस्या बहुत गम्भीर है । कुंभ मेला लगने के स्थान पर कचरे के ढेर पर मिट्टी की परत चढ़ गयी है । कीड़े मकोड़े खाने के लिए पक्षियों के दल यहाँ घूमते रहते हैं । अचानक कहीं से छिद्र पाकर कचरे के ढेर से गैस निकलतीं हैं और कुछेक पक्षी काल कवलित हो जातें हैं । कचरा पर्यावरण के लिए बहुत खतरा है ।

कचरे का प्रबंधन करना बहुत जरुरी हो गया है । कचरे से खाद और कचरे से रोशनी पैदा की जा रही है । जरुरी है इस क्षेत्र में निजी कम्पनियों को आगे आने की । निजी कम्पनियां इनकम टैक्स में राहत की माँग कर रहीं हैं । सरकार को उनकी माँग स्वीकार कर लेनी चाहिए । दिल्ली शहर में कचरे की पहाड़ी बन गयी है । इस पहाड़ी को मैदान बनाना है । हमें अपना जीवन आसान बनाना है ।

अंतरिक्ष तक कचरे का अस्तित्व है । उसे वापस लाने की माँग उठ रही है । एवरेस्ट पर चढ़ने वाले उतरते समय अपना कचरा वापस लाने की कोशिश करते हैं । फिर भी एवरेस्ट पर ढेर सारा कचरा भरा पड़ा है । इन्हें वापस लाने का अभियान चलाना चाहिए । अब एवरेस्ट पर फतेह हो गयी है । एवरेस्ट फतेह का अभियान बंद कर देना चाहिए । एकाध विशेष अभियान इन कचरों को साफ करने के लिए भी करना चाहिए।

एक पोता अपने बीमार और अशक्त दादा को कचरे के ढेर में फेंकने जा रहा था । पुलिस की निगाह पड़ गयी । वह बुजुर्ग बच गये । ऐसे हीं कितने परिवार हैं , जहाँ बुजुर्गों को कचरा समझा जाता है । अगर वृद्धों को ओ एल एक्स पर बेचने की सुविधा होती तो परिजन उन्हें भी बेच देते । ओ एल एक्स पर पुराना माल बड़ी आसानी से बेच दिया जाता है । बुजुर्गों को कोई नहीं खरीदेगा । बैठे बिठाए मुसीबत कौन पालेगा ? 

बुजुर्गों का दिन ब दिन क्षरण होता जाता हैं । वे खांसते हैं । बलगम फेंकते हैं । गैस छोड़ते हैं । इन्हें कौन खरीदेगा । ये काम के न काज के दुश्मन अनाज के होते हैं । अगर ये कचरा हैं तो इनका निस्तारण नहीं हो सकता । इनकी मरम्मत भी नहीं की जा सकती । मरम्मत के लिए सब सामान की आपूर्ति ऊपर से होगी और ऊपर वाला किसी की नहीं सुनता । वह अपने हिसाब से चलता है । ऐसे में आपको इनकी मौत का इंतजार करना होगा । सृष्टिकर्ता हीं इनका शरीर मरने के बाद मुकम्मल करेगा ।

सबसे अच्छी बात है कि आप बुजुर्गों की सेवा करें । उन्हें प्यार दें । ये मरेंगे तो जरुर , पर अपने नियत समय पर । फिर इनको लेकर परेशान रहने की क्या जरुरत है ? समय से पहले तो कुछ होने से रहा । आपका यह समय काटे से नहीं कटेगा । इसलिए आप इनके प्रति समर्पित हो जाएँ । इनमें रम जाएँ । इस कचरे का प्रबंधन ऊपर वाला करेगा । आपको इस प्रबंधन का केवल निमित्त भर बनना है । 

इनका अंत समय आएगा तो आपको पता चलेगा कि समय पंख लगाकर उड़ गया है और आपको उसका पता तक भी नहीं चला है ।


टिप्पणियाँ

  1. बुजुर्ग जिसके घर में हों, वो घर मन्दिर होता है,
    कचरा तो वो घर होता है, जहाँ पावन विचार नहीं मिलते हैं।
    यदि बुजुर्ग घर में हों, तो वहां से दिन रात दुआ, आशीर्वाद, प्रार्थना निकलती है। और जहां से ये सब निकले वही तो स्वर्ग है।
    परन्तु माया के पर्दे में कुछ लोग देख नहीं पाते।

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  2. कचरा प्रबंधन के बहाने आपने बहुत ही संवेदनशील व मार्मिक पहलू पर चोकिया है

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  3. कचरा प्रबंधन के बहाने आपने बहुत ही संवेदनशील व मार्मिक पहलू पर चोट किया है।

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