नियति के साथ करार( Tryst with destiny)
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14-15 अगस्त, सन् 1947 की मध्य रात्रि से पहले संविधान सभा में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था, जो कि नियति के साथ करार (Tryst with destiny) के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. पंडित नेहरू का यह भाषण 20 वीं सदी के 11महान् भाषणों में शामिल किया गया है. सर्वप्रथम रात्रि के 11बजे सुश्री सुचेता कृपलानी ने वंदे मातरम् गायन किया. राष्ट्रपति का अभिभाषण हुआ. फिर अंत में पंडित नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण (Tryst with destiny )दिया. उन्होंने सभी सदस्यों से एक जुट होने का आह्वान किया. प्रस्तुत है उनके भाषण का एक अंश -
" कई सालों पहले हमने नियति के साथ एक करार किया था. वह समय आ गया है कि हम उस करार को निभाएं. अाधी रात जब होगी. जब पूरी दुनियां नींद में होगी. तब पूरा भारत का जीवन अपनी आजादी के लिए जाग जाएगा. "
मध्य रात्रि आई. अपने साथ खुशियों की सौगात लाई. भारत एक अाजाद मुल्क बना.पंडित नेहरू ने लाल किले के प्राचीर के लाहौरी गेट से भारतीय ध्वजा को फहराया.
नियति के साथ हुए इस करार को कायम करने के लिए भारतीय जवानों ने समय समय पर अपने प्राणों की आहुति दी है. श्रद्धांजलि स्वरूप कवि प्रदीप के उस प्रसिद्ध गीत की शुरूआती पंक्तियां दी जा रही हैं, जिसे लतामंगेशकर ने अपने कोकिल कंठ से इस कदर गाया था कि पंडित नेहरू सरीखे शख्सियत की भी आंखें नम हो गईं थीं-
ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा.
ये शुभ दिन है हम सबका, लहरा लो तिरंगा प्यारा.
पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने है प्राण गवाएं ,
कुछ याद उन्हें भी कर लो, जो लौट के घर ना आए.
- ई एस डी ओझा
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