अग्निमीले पुरोहितम्.

ग्रामोफोन का अाविष्कार करने वाले 19वीं सदी के थामस अल्वा एडिसन थे. 1877 में किए गये उनके इस आविष्कार ने संगीत की दुनियाँ में युगान्तरकारी - क्रान्ति ला दिया . 1890 आते आते संगीत रिकार्ड करने वाली कम्पनियां बाजार में छा गईं . एडिसन की हीं बदौलत हम लता, रफी, मुकेश, नूरजहां आदि गायक गायिकाओं के गीत ग्रामोफोन पर सुन पाए.
एडिसन ने अपने इस अाविष्कार का उदघाटन जर्मनी के प्रसिद्ध विद्वान प्रोफेसर मैक्समूलर से करवाया . एक बड़े समारोह में एडिसन ने मैक्समूलर को मंच पर बुलाया और उनसे ग्रामोफोन पर अपनी आवाज रिकार्ड कराने को कहा. मैक्समूलर ने चन्द शब्द कहे और अपनी सीट पर जाकर बैठ गये. एडिसन ने उनकी रिकार्ड की हुई जब आवाज ग्रामोफोन पर सुनाई तब सारा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.
तालियों के गड़गड़ाहट के बीच मैक्समूलर फिर मंच पर आए. मैक्समूलर ने आम जन से पूछा, " आप लोगों को पता चला कि मैंने क्या ग्रामोफोन पर रिकार्ड कराया था. " सब ने समवेत स्वर में कहा, "नहीं. " मैक्समूलर ने तब कहा, " मैंने अपनी आवाज में संसार के प्राचीनतम ग्रंथ 'ऋग्वेद ' का पहला सूक्त रिकार्ड कराया था, जिसका अर्थ है, " मैं अग्नि की पूजा करता हूं. " एक बार फिर हाल तालियों की आवाज से गूंज उठा."ऋग्वेद के पहले सूक्त से आप भी परिचित होइए -
"अग्निमीले पुरोहितं. "
                 -ई एस डी ओझा ।
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