दिल के मेहमां हो गये ।
दिल के मेहमान भी अजीब होते हैं । एक बार आ गये तो जाने का नाम हीं नहीं लेते हैं । कुछ भी कहो , कुछ भी करो । वे टस से मस नहीं होते हैं । दिल में रहते हैं, पर रहने का किराया नहीं देते हैं । ऐसे किराएदार को निकालने के लिए पुलिस दरोगा की भी मदद नहीं ली जा सकती । खुद अपनी इज्जत का सवाल जो है । पुलिस पूछ ताछ करेगी । कब आया ? कैसै आया ? क्यूँ आया ?
यदि आप सोच रहें हैं कि दिल के मेहमान को दिल में बंदकर दरिया में चाबी फेंक देंगे तो वह तड़प उठेगा , दिल से बाहर आने की चिरौरी करेगा तो यह आपकी सरासर भूल होगी । उसकी ठसक और बढ़ जाएगी । वह मस्तमलंग हो नाच उठेगा और आपकी परेशानी का कोई ठौर ठिकाना नहीं रह जाएगा ।आपसे न रोते बनेगा न हंसते ।
इसी तरह की परेशानी कृष्ण की गोपियों को भी हुई थी । उनके दिल में उद्धव के ईश्वर को रखने के लिए कोई जगह हीं नहीं बची थी । सारी जगह कृष्ण घेर चुके थे । ऐसे में निर्गुन ज्ञान बघार रहे उद्धव को टोकना पड़ा गोपियों को । उन्होंने उद्धव से कहा था -
उद्धव मन न भए दस बीस । एक हुतो तो गये श्याम संग, को आराधे ईश ।
उद्धव अपना सा मुंह लेकर मथुरा लौट गये थे ।
घर किराए पर देने से पहले एग्रीमेण्ट होता है । एग्रीमेण्ट में तमाम तरह की शर्तें होतीं हैं । मसलन घर किराए पर देने की अवधि , नियत अवधि पर घर खाली न करने पर कानूनी कार्रवाई एंव साथ हीं किराया हर साल 10% बढ़ाने की बात भी लिखी होती है । ऐसे में कोई भी शर्त तोड़ने पर किराएदार से घर खाली कराया जा सकता है ।
दिल का किराएदार चुपके से आता है । किसी को भनक तक नहीं लगती है । वह पहले मेहमान बनकर आता है । फिर आपके दिल का मालिक बन जाता है । घर वाला बर तर, बर वाला घर तर हो जाता है । मालिक से कोई किराया कैसे ले सकता है ?
ऐसे में दिल में किसी के आने से पहले उससे कड़ाई से पूछताछ करनी चाहिए । किसी फिल्म में पूछताछ करने का तरीका भी बताया गया है -
ये तो बताओ- कौन हो तुम? कौन हो तुम ? मुझसे पूछे बगैर दिल में आने लगे । आते आते हीं बिजली गिराने लगे ।
जिसने कड़ाई से पूछताछ नहीं की , वह बहुत पछताता है ; कारण जब यह दिल का मेहमान जाता है तो अपने पीछे पीड़ा का बहुत बड़ा संसार छोड़ जाता है ।
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