अपनी हंसी के साथ मेरा भी गम निबाह दो.
सुदेश लहरी कामेडी की दुनियां में एक जाना माना नाम है.यह नाम सबसे पहले"द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैंलेंज"में उभरा, परन्तु असल पहचान सुदेश लहरी को "कामेडी सर्कस " और "कामेडी क्लासेस " से मिली. अमृतसर के रहने वाले सुदेश लहरी का जन्म 27 अक्टूबर सन् 1968 में जालंधर में हुआ. इनके पिता एक छोटी सी सुनार की दुकान चलाते थे. पिता की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण इन्हें बीच में हीं अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. कुछ दिनों तक पिता के साथ दूकान पर बैठे. बाद में स्वतंत्र रूप से अपनी चाय की दूकान खोली.
रोजी रोटी की फिक्र ने सुदेश लहरी को वक्त से पहले समझदार बना दिया. अमृतसर में रामलीला में कामेडियन बनने लगे. जब लोग हंसने लगे तो सुदेश का आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा. पेट की भूख ने उन्हें कामेडी सिखाया. आज उन्होंने एक मुकाम हासिल कर रखा है. कई पंजाबी फिल्मों व टी वी सिरीयलों में भी ये काम कर चुके हैं.
सुदेश लहरी की कृष्णा अभिषेक के साथ 'कामेडी सर्कस ' में जोड़ी खूब जमी. लोग इस जोड़ी को देखने के लिए हीं 'कामेडी सर्कस ' देखते थे. लम्बे समय तक काम करने के बाद इस जोड़ी ने कुछ दिनों के लिए ब्रेक लिया ताकि दर्शक बोर न हों जाएं और कृष्णा सुदेश का आपस का भाईचारा भी कायम रह सके.अब फिर इस जोड़ी ने "कामेडी नाइट्स बचाओ " में फिर काम करना शुरू किया है. दर्शक फिर हंस रहे हैं. एक साक्षात्कार में कृष्णा अभिषेक ने माना है कि कामेडी की बारीकियां उन्होंने सुदेश लहरी से सीखी है.
यूं तो कमेडी किंग का ताज कभी राजू श्रीवास्तव के सिर पर था. अब कपिल शर्मा कामेडी किंग कहे जाने लगे हैं, परंतु सुदेश लहरी के दीवाने भी कम नहीं हैं. जब सुदेश मंच पर आते हैं तो बिना हरकत किए, बिना बोले भी वे कामेडी कर जाते हैं. यही कला सबको उनका मुरीद बनाती है. किंग खान शाहरूख खान भी सुदेश लहरी के फैन क्लब में शामिल हैं.शराब, सिगरेट को हाथ न लगाने वाले सुदेश लहरी के लिए एक शेर -
अपनी हंसी के साथ मेरा भी गम निबाह दो.
हंसी जब आए तो गम का कहीं निशां न हो.

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