उसे फिक्र है हरदम नया तर्ज -ए - जफा क्या है ?
बलूचिस्तान को आजाद करने के लिए अंग्रेज सन् 1944 में हीं मन बना चुके थे, पर किन्हीं कारणों से इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका. जब सन् 1947 में भारत और पाकिस्तान दो देश अस्तित्व में आए तो बलूचिस्तान का क्षेत्र पाकिस्तान की तरफ पड़ा. शुरू शुरू में पाकिस्तान की तरफ से बलूचिस्तान को यह अश्वासन मिला कि रक्षा, विदेश नीति से इतर बलूचिस्तान की एक अलग पहचान होगी . लेकिन पाकिस्तान ने अपना वादा नहीं निभाया. पाकिस्तानी सेना ने ताकत के बल पर बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया.
बलूचिस्तान पाकिस्तान का पश्चिमी राज्य है. इसकी राजधानी क्वेटा है. इसके पड़ोस में अफगानिस्तान और ईरान है. यहां पश्तो और बलूची भाषा बोली जाती है. बलूचिस्तान का कुछ हिस्सा ईरान और कुछ अफगानिस्तान में है. बलूची लोग अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान से अलग हो एक वृहत्तर बलूचिस्तान बनाना चाह रहे हैं. सन् 1947 के बाद से हीं बलूच लोग पाकिस्तान से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहें हैं. सन् 1970 में इनका राष्ट्रवाद जोर शोर से उभरा, जिसे पाकिस्तान ने बन्दूक की नोंक पर कुचल दिया.
आज बलूच लोगों की दिन की शुरूआत दहशत से होती है. उन्हें नींद में भी दहशत हीं नजर आती है. उनकी नेता करीमा बलूच विदेश में रहकर निर्वासित जीवन बिता रहीं हैं. वे वहीं से बलूचिस्तान की आवाज उठा रहीं हैं. 2500 लोग लापाता हो गये हैं .महिलाओं से बलात्कार, बच्चों की हत्या कर वहां सरे आम पाक मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहा है.
इस समय बलूचिस्तान में तीन संगठन आजादी के लिए संघर्ष रत हैं- बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी .इन संगठनों ने कहा है कि अब पाकिस्तान जंग का मैदान बनेगा. लाहौर व इस्लामाबाद पर हमले किए जाएंगे.
बलूचिस्तान के ग्वादर इलाके में 790 km लम्बे समुद्र तट पर चीन ग्वादर पोर्ट तैयार कर रहा है. इस पोर्ट के बन जाने पर चीन के साथ पाकिस्तान को भी फायदा होगा. इस क्षेत्र में बलूचिस्तान को लूटने के लिए पाकिस्तान ने चीन को खुली छूट दे रखी है. चीन इस इलाके में बहुत निवेश कर रहा है. बलूच लोग अपने संसाधनों का इस कदर खुले आम दोहन बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में बलूचिस्तान का मुद्दा जोर शोर से उठाया है. जिस तरह पाकिस्तान कश्मीर में मानव अधिकार हनन का मुद्दा उठाता रहा है, उसी प्रकार उसी अंदाज में भारत ने बलूचिस्तान का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान को बैक फुट पर ला खड़ा किया है. अमेरिका, रूस , ईरान और अफगानिस्तान आदि देश भारत के साथ हैं.
अब बलूच लोगों ने पाकिस्तान विरोधी नारे लगाकर, आजादी के लिए संघर्ष कर पाकिस्तान को खुले आम चुनौती दे डाली है. उन्होंने कहा है कि बलूचिस्तान दूसरा बांग्लादेश बनेगा. अब जफा (अत्याचार) का इम्तिहां वे देखने के लिए तैयार हैं.
उसे ये फिक्र है हरदम नया तर्ज -ए-जफा क्या है?
हमें ये शौक देखें कि सितम का अब इंतिहां क्या है ?
- इं एस डी ओझा
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