आज के हीं दिन हुई थी एक तानाशाह की मौत.
17 अगस्त सन् 1988 . विमान C-130. पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद जिआउल हक, अमेरिकी राजदूत अर्नाल्ड राफेल, पाकिस्तान को मदद देने वाले अमेरिकी सेना के प्रमुख जनरल डावर्ट वासम और पाकिस्तानी सेना के कुछ उच्च पदस्थ अधिकारी बहावलपुर हवाई अड्डे से जहाज में सवार हुए. उड़ान के कुछ देर बाद हीं विमान का सम्पर्क कन्ट्रोल टावर से टूट गया. जहाज जमीन पर आ गिरा. जांच चली. अमेरिकी वायु सेना के कुछ अधिकारी जांच में मदद के लिए पाकिस्तान आए. अमेरिकी वायुसेना के अफसरों ने तकनीकि खराबी बताया, जब कि पाकिस्तानी जांच एजेंसी को इसमें किसी षड़यंत्र की बू आई. जांच में पाकिस्तानी अधिकारियों को कन्ट्रोल सिस्टम की तारें घिसीं और टूटी मिलीं. वहीं अमेरिकी वायु सेना के अधिकारियों को इसमें कुछ भी षड़यंत्रकारी नहीं लगा. उनका कहना था कि विमान C-130 में इस तरह की तकनीकि खराबियां आती रहती हैं. अमेरिकी लैब एक अलग कहानी बता रहा था. लैब परीक्षण से पता चला कि कन्ट्रोल सिस्टम के एलिवेटर बूस्टर की पैकेज में पीतल और एल्युमिनियम की मिलावट थी.
विमान C-130 के पायलट थे - मसूद हसन. कुछ लोगों का मानना था कि पाकिस्तान के किसी खास धार्मिक नेता को मरवाने में जियाउल हक का हाथ था और पायलट मसूद हसन उस धार्मिक नेता के अनुयाई थे. इसलिए पायलट मसूद हसन ने अपने एक दोस्त को बता रखा था कि जिस दिन जियाउल हक उनके विमान में सवार होंगें वह दिन जियाउल हक का आखिरी दिन होगा. जांच में पायलट मसूद हसन का नाम नहीं आया. अगर आता भी तो मसूद C-130 विमान के सभी सवारों के साथ अल्लाह के प्यारे हो गए थे.
जियाउल हक पहले एक अनुशासित, शरीफ एंव कर्तव्यनिष्ठ पाकिस्तान आर्मी के अधिकारी थे, परन्तु सत्ता के मद में कोई भी उच्श्रृंखल हो जाता है. तुलसी दास ने भी लिखा है -' प्रभुता पाई काह मद नाहीं.' एक बार वे पाकिस्तान के प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टॊ से मिलने उनके अावास गए थे. बैठक में वे सिग्रेट पी रहे थे, तभी प्रधान मंत्री वहां अा गए . जियाउल हक घबरा गए . उन्हें इतनी जल्दी उनके आने का भान नहीं था. हड़बड़ी में सिग्रेट को जेब में डाला तो जेब जलने लगी. इस तरह के अनुशासित व समर्पित व्यक्ति को (वरीयता क्रम को दरकिनार कर) जब भुट्टो ने पाकिस्तानी सेना का प्रमुख बनाया तो उन्हें सत्ता के मद ने जकड़ लिया. वे पाकिस्तान का राष्ट्रपति बनने का ख्वाब देखने लगे. उन्होंने निर्वाचित प्रधानमंत्री भुट्टो को अपदस्थ कर सत्ता पर अधिकार कर लिया.यही नहीं, एक फर्जी मुकदमें में जुल्फीकार अली भुट्टो को फंसाकर उन्हें फांसी भी दे दी. अल्लाह की नजर हर जगह है. नतीजा सामने आ गया. जियाउल हक को उनके हक की सजा मिल गई .
जो भी भला बुरा है, अल्लाह जानता है.
बंदे के दिल में क्या है, अल्लाह जानता है.
Er S D Ojha
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