मुगल शाहजादियों की व्यथा

 मुगल बादशाह बाबर भारत आया और वह यहीं का होकर रह गया । वह केवल 4 साल हीं यहाँ शासन कर पाया । उसका बेटा हूमायूं ताजिंदगी शेर शाह सूरी से लड़ता रहा । उसके भाई कामरान ने भी उसका जीना मुहाल कर रखा था । उसका बेटा अकबर अभी छोटा था । हूमायूं भी असमय हीं चल बसा । ऐसे में वह अपनी कोई भी जिम्मेदारी नहीं निभा पाया । केवल अपनी एक हीं  बेटी की हीं शादी कर पाया था ।

मुगल वंश की शाहजादियों की यह पहली और अंतिम शादी नहीं थी । अकबर ने भी अपनी एक सौतेली बहन की शादी की थी । उसका जीजा अजमेर के हाकिम थे । उनका नाम शरीफुद्दीन था । यॆ वही सरीफुद्दीन थे जिन्होंने एक बार अकबर पर जानलेवा हमला किया था । इस हमले से अकबर खिन्न हो गया । उसने उसके बाद किसी भी शाहजादी का विवाह नहीं होने दिया । आने वाले समय में सभी बादशाहों ने इस परम्परा का निर्वाह किया था ।

हूमायूं की बहन गुल बदन,  अकबर की तीन बेटियाँ , शाहजहाँ की बेटियां जहाँआरा और रोशन आरा और औरंगजेब की बेटी मेहरुन्निशां की भी शादी नहीं हुई थी । इनकी देखा देखी मुगल वंश के सारे रिश्ते व नातेदारों ने अपनी अपनी बेटियों की शादी नहीं की । हाँलाकि अकबर ने कुछ रायपूत कन्याओं से शादी कर अपनी कन्याओं को उनके घर भेजने का मार्ग प्रशस्त किया था , लेकिन राजपूतों ने मुगल कन्याओं से शादी नहीं की ।

इसके बाद भी राजपूत कन्याएं मुगल बादशाहों से ब्याहीं गयीं,  पर अकबर के बाद किसी मुगल बादशाह ने अपनी कन्याओं की शादी किसी राजपूत से करने की इच्छा नहीं जतायी । नतीजतन मुगल शाहजादियां कुंवारी हीं मरतीं रहीं । अगर बेटी रोटी का यह रिश्ता दोनों पक्षों में मुकम्मल हो जाता तो आज भारत में फिरकापरस्ती दूर की कौड़ी साबित होती ।

बेटी रोटी का रिश्ता न होने का एक और कारण भी था । मुगल बादशाहों का बर्चस्व भारत के एक बहुत बड़े इलाके पर हो गया था , जब कि राजपूत केवल छोटे छोटे राज्यों के राजा थे । ऐसी हालत में मुगल बादशाह राजपूतों को अपने समकक्ष का नहीं मानते थे । मुगल शाहजादियों की जो भी शादियां हुईं, आपस में हीं हुईं । जो शाहजादियां रह गयीं,  वे कुंवारी हीं रहीं । समकक्ष शाहजादे ईरान,  इराक में मिलते , पर वे देश बहुत दूर थे ।

मुगल शाहजादियों की शादी न होने का एक कारण यह भी था कि कोई भी बादशाह दामाद को सत्ता में शामिल नहीं करना चाहता था । उनके अपने बेटों में हीं सत्ता के लिए संघर्ष चलता था । ऐसे में दामाद भी इस युद्ध में कूद सकते थे । इस स्थिति से बचने के लिए इन शाहजादियों का कुंवारी मरना हीं बेहतर था । उन्हें अपना दुश्मन बनाना किसी को भी मंजूर नहीं था ।

इन शाहजादियों पर सख्त पहरा होता था । किन्नर सिपाही इनकी रक्षा करते थे । फिर भी चुपे चोरी सब चलता था । इनके भी प्रेमी होते थे । लेकिन पता चलने पर वे बेचारे मारे जाते । औरंगजेब ने तो अपने बेटी के एक प्रेमी को खौलते पानी में खौला दिया था । इन शाहजादियों की अहम व्यथा यह थी कि वे बिन माँ बने हीं मरीं । माँ का पद बहुत ऊंचा होता है । माँ  बनना नारी के लिए बहुत सम्मान की बात होती है ।

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