क्या चांद पर एलियन की बस्तियां हैं?
चांद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि चांद पर एलियन्स की कालोनियां बसी हुई हैं. चांद पर उनका पहुंचना एलियन्स को बहुत नागवार गुजरा . एलियन्स ने उन्हें वहां से चले जाने का इशारा किया था. जब उनसे इस बावत विस्तार से पूछा गया तो नील आर्मस्ट्रांग ने यह कहकर बात खत्म कर दी कि वे धरती के लोगों में विस्तार से बता कर खौफ नहीं पैदा करना चाहते.
कहा जाता है कि चंद्रमा का दुसरा हिस्सा ,जो पृथ्वी से नजर नहीं आता, एलियंस का आधार शिविर (Base camp) है. नौसेना इंटेलिजेंस आफिसर मिल्टन कूपर के कथनानुसार अमेरिकी नौसेना में एलियंस के इन कालोनियों को लूना कहा जाता है. एलियंस चांद पर व्यापक स्तर पर खनन कार्य करते हैं. वहाँ उनके विशाल यान खड़े रहते हैं. वे छोटी छोटी उड़न तश्तरियों में बैठ पृथ्वी की भी यात्रा करते हैं.
टिमोर्थी गुड की किताब 'Above top secret ' के अनुसार चांद पर मानव कदम पड़ने के कुछ देर बाद हीं उड़न तश्तरियां देखी गयीं थीं. ज्ञातब्य हो कि 21 जुलाई सन् 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों - नील आर्मस्ट्रांग और एडविन बज एल्ड्रिन के कदम चांद की जमीं पर पड़े थे. इस ऐतिहासिक दिन को इन लोगों ने चांद पर एक क्रेटर देखा था, जिसमें से नीली रोशनी आ रही थी. यह बात अंतरिक्ष यात्रियों ने मिशन कंट्रोल को बताई थी.
नासा के पूर्व कर्मचारी आटो बाइंडर ने नासा कंट्रोल से अंतरिक्ष यात्रियों की वार्ता को वी एच एफ रिसिविंग फेसिलिटी में रिकार्ड किया था. नासा ने पूछा, ' वहां क्या है? '
जवाब मिला, ' ये आकृतियां बहुत विशाल हैं. आप विश्वास नहीं करेंगें, लेकिन यहां क्रेटर के पास पक्तिबद्ध और यान खड़े हैं. वे हम पर निगरानी रख रहे हैं. '
कहा जाता है कि चांद पर एलियंस और यानों के बारे में नासा को पहले से पता था ,पर सारे प्रकरण को गोपनीय रखा गया. अंतरिक्ष यात्रियों को भी इस बात को गोपनीय रखने के लिए कह दिया गया था. 1979 में नासा कम्यूनिकेशन के मुखिया चैटलेन ने कन्फर्म किया कि नील आर्मस्ट्रांग ने दो उड़न तश्तरियों के बारे में जानकारी दी थी. किसी को कुछ न बताने की मनाही ने सबका मुंह बंद रखा.
सबसे पहले इस रहस्य से पर्दा उठाने वाले सोवियत वैज्ञानिक थे. रुस की सेंट्रल टी वी चैनल ने यह जानकारी दी कि अपोलो -11के अंतरिक्ष यात्रियों का सामना एलियंस से हुआ था. एलियंस से मिली चेतावनी के बाद चांद पर स्पेश स्टेशन और मून सिटी नहीं बनवाया जा सका. नील आर्मस्ट्रांग का कहना था कि अमेरिकी गुप्तचर एजेन्सी CIA के दबाव की वजह से ये बातें छिपाई गईं. उनका कहना था कि एलियंस के अंतरिक्ष यान हमारे यान से बड़े और तकनिकी दृष्टिकोण से श्रेष्ठ थे.
काफी अंतराष्ट्रीय दबाव पड़ने के बाद भी नासा ने अपोलो -11 के रिकार्ड सार्वजनिक नहीं किए. उसके बाद भी अपोलो के छः अभियान और हुए 1969 -1972 के दरमियां. हर बार एलियंस ने एक निश्चित दूरी पर इन अपोलो यानों का पीछा किया. इन एलियंस से भयभीत और त्रस्त हो नासा ने अपना अपोलो अभियान बंद कर दिया और बहाना बनाया कि उनका मिशन अब पूरा हो गया है.
नासा ने जानकारी दी है कि अपोलो अभियान से सम्बंधित उनकी सारी फाइलें चोरी हो गईं हैं. इन फाइलों में चंद्र यात्रियों के वार्तालाप के टेप भी थे. शायद हीं कोई इस बात पर विश्वास करेगा. नासा के पास अंतरिक्ष से सम्बंधित बहुत सारी सेक्रेट फाइलें होंगीं. उन्हें भी तो चोरी होना चाहिए था. यह तो वही बात हुई कि दीमकों ने कागज का कुछ नहीं बिगाड़ा पर तहरीर मिटा दी.
उलझा दिया दीमक ने, ये कैसी शरारत की.
कागज तो नहीं चाटा, तहरीर हीं मिटा दी है.
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