वह आजादी किसके काम की ...

यह संसार दो विश्व युद्ध देखा चुका है, जिसमें करोड़ों लोग काल कवलित हो चुके हैं. विश्वयुद्ध के अतिरिक्त कई गृह युद्ध भी हो चुके हैं. गृह युद्ध से तात्पर्य एक हीं राष्ट्र के दो या दो से अधिक गुटों के बीच संघर्ष से है. गृह युद्ध का उद्देश्य अलग अलग होता है. कुछ युद्धोन्मादी लोग पूरे राष्ट्र पर कब्जा कर अपनी नीतियों के अनुसार राष्ट्र चलाना चाहते हैं. कुछ मूल राष्ट्र से अलग आजादी चाहते हैं .
गृह युद्ध को अंग्रेजी में 'सिविल वार', उर्दू में 'खाना -जंगी ' फारसी में 'जंग दाखिली ' , अरबी में 'हर्ब अहलिया ' और जर्मन भाषा में ' बुअर्गर क्राइंग ' कहा जाता है. विश्व प्रसिद्ध गृहयुद्ध अमेरिका में हुआ था, जिसमें उत्तरी अमेरिका की दक्षिणी अमेरिका पर विजय हुई थी. यह युद्ध सन् 1861से सन् 1865 तक चला, जिसमें लगभग 6 लाख लोग खेत रहे. उत्तरी राज्य संघीय एकता बनाए रख दास प्रथा का अंत करना चाहते थे. उत्तरी राज्यों के विजय के साथ हीं दास प्रथा का अंत हुआ. गोरे व कालों का भेद मिटा.
अफगान, श्रीलंका,स्पेन, फ्रांस, लेबनान आदि देशों में भीषण गृह युद्ध हुए हैं, जिनमें सत्ता के बिरूद्ध संघर्ष वर्षों चला है. आज विश्व के जिन देशों की स्थिति बिस्फोटक हुई है, उनमें सीरिया का गृह युद्ध प्रमुख है. हाल के वर्षों में इस देश में भयंकर तबाही हुई है. जेनेवा में शांति वार्ता हुई है, पर उसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है. हां, एक फायदा जरूर हुआ है कि नाटो का हमला रूक गया है, वरना नाटो युद्ध के लिए लगभग तैयार हो चुका था. सीरिया के गृह युद्ध में 70 लाख सीरियाई विस्थापित हो चुके हैं. एक लाख लोग मारे जा चुके हैं. बड़ी बड़ी बिल्डिंगें जमींदोज हो चुकी हैं.
गृह युद्ध में लाखों लोग मरते हैं. करोड़ों बेघर होते हैं. भयंकर गरीबी, भूखमरी, बीमारी / महामारी फैलती है. उद्दोग धंधे चौपट हो जाते हैं. अफगानिस्तान, वर्मा, अंगोला आदि देशों का भविष्य उज्जवल था, पर गृह युद्ध की विभीषिका में जलकर ये देश आज कौड़ी के तीन हो गये हैं. भीषण मार काट मचाने से तो बेहतर है कि शांति और संयम से काम लिया जाय. दुनियाँ की तमाम समस्याओं को शांति वार्ता से हल किया जा सकता है, जिसमें सुखद परिणाम मिलेंगे. बेशक देर से हीं सही. वरना,
वह आजादी किसके काम की,
जिसके माथे खून की लाली चढ़ी.
                      - इं एस डी ओझा

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

औरत मार्च

स्वागत गान करेगा कौन ?

आजानुबाहु