हर नये मोड़ पर कुछ लोग बिछुड़ जाते हैं.

असम के प्रसिद्ध कवि और कथाकार श्री महिम बोरा का कल दिनांक 5 अगस्त,2016 को गुवाहाटी के जी एन आर सी अस्पताल में निधन हो गया. वे 93 वर्ष के थे. वे काफी दिनों से हृदय रोग से ग्रसित थे.  दिनांक 3 अगस्त 2016 को उनको अचेतावस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वे ब्रेन हैमरेज होने की वजह से कोमा में चले गये थे.
26 जुलाई सन् 1924 को शोणितपुर में जनमें श्री महिम बोरा एक अव्वल दर्जे के साहित्यकार थे. उनकी लिखी लघुकथा, "कथनी बारी घाट "का लगभग सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. महिम बोरा सन् 1989 में डुमडुम अधिवेशन के दौरान असम साहित्य सभा के अध्यक्ष चुने गये थे.
उन्हें सन् 2011 में पद्मश्री , 2001 में साहित्य अकादमी पुरूष्कार और1998 में असम वैली लिटरेरी अवार्ड मिला था.
उनकी प्रमुख पुस्तकें कथनीबारी घाट(1965),बहुभुजी त्रिभुजी (1967), मोई पिप्पली आरू पूजा (1967 ), आई नादिर सोटे (1975) , राती फूला फूल (1977 ), वरजात्री (1980), रंगजिया (1978 ) हैं.
मेरी तरफ से एक श्रद्धांजलि -
कच्चे बखिए की तरह रिश्ते उघड़ जाते हैं.
हर नये मोड़ पर कुछ लोग विछड़ जाते हैं.
                            - Er S D Ojha
Image may contain: 1 person

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आजानुबाहु

औरत मार्च

बेचारे पेट का सवाल है