सुधा रही सकुचाय.

चीनी को अंग्रेजी में शुगर कहा जाता है. शुगर जो संस्कृत के शर्करा से बना है. शर्करा का शाब्दिक अर्थ बजरीदार या रवादार होता है. प्राचीन काल में जो चीनी बिना परिष्करण के तैयार होती थी, वह रवेदार हीं होती थी. चीनी गन्ने के रस से बनती है.  प्राचीन पश्चिम गन्ने की खेती से अनजान था. सिकंदर के आक्रमण के दौरान उसके सिपाहसलार नाचोस को सिंधु नदी के किनारे एक सरकण्डा मिला, जिसके चूसने से शहद का स्वाद मिलता था. उसे आश्चर्य हुअा कि बगैर मधुमक्खियों के इस सरकण्डे के अंदर शहद कैसे बना होगा ? बाद में पता चला कि यह सरकण्डा नहीं ईख (गन्ना) है, जिसे अंग्रेजी में शुगर केन (Sugar Cane) कहा गया.
परिष्करण से प्राप्त चीनी से मात्र कैलोरीज मिलती है. उसमें विटामिन व खनिज नहीं होता. परिष्कृत चीनी में पौष्टिकता नष्ट हो जाती है. यही चीनी भोज्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स, फलों के तथाकथित रीयल जूस में मिली होती है. अत्यधिक कैलोरी से मोटापा बढ़ता है. विटामिन व खनिज चीनी में नदारद होने के कारण इस चीनी में पौष्टिकता रंच मात्र भी नहीं होती, लिहाजा इससे धमनियों का रोग हो जाता है.अत्यधिक चीनी का उपयोग  मधुमेह को आमंत्रित करता है.
चीनी का बढ़िया विकल्प गुड़ होता है .इसे मधुमेह के रोगी भी थोड़ी मात्रा में ले सकते हैं. गुड़ जल्दी पच जाता है. इसलिए शुगर खून में नहीं मिल पाता. इसलिए गुड़ खाने वाले मधुमेह के रोगियों का ब्लड शुगर सामान्य रहता है. दुसरी बात यह है कि इसमें कैलोरी के अतिरिक्त विटामिन व खनिज भी होते हैं. गुड़ से सूखी खांसी का उपचार होता है. रक्ताल्पता के केस में डाक्टर गुड़ खाने की सलाह देते हैं. गुड़ खाने में भी आजकल एक लोचा है. गुड़ को सफेद दिखाने के चक्कर में इसमें सुपर फास्फेट मिलाया जाने लगा है. सुपर फास्फेट शरीर को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए चमकदार सफेद गुड़ न खरीदकर गहरे रंग का हीं गुड़ खरीदें.
चुकंदर से भी चीनी तैयार होती है. पश्चिम में 40% चीनी चुकंदर से मिलती है. आजकल राजस्थान, पंजाब में चुकंदर से चीनी बनाने का प्लाट लगाए जा चुके हैं. चुकंदर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 5/6 माह में तैयार हो जाता है, जब कि गन्ना 10/12 माह में तैयार होता है. दूसरी बात यह है कि चीनी मीलें गर्मियों में गन्ना उत्पादन न होने के कारण बन्द रहती हैं. उस दौरान चुकंदर से चीनी बनाया जा सकता है. भारत सरकार भी किसानों को चुकंदर की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. कारण, इसमें लागत कम मुनाफा ज्यादा है. इसकी खेती में कम पानी की आवश्यक्ता होती है. चुकंदर से बनी चीनी भी सेहत को कम नुकसान करती है.
बहुत ज्यादा चीनी खाना मौत की वजह भी हो सकती है. दिल की बिमारियां अक्सर चीनी खाने की वजह से होती हैं. फास्ट फुड व प्रोसेस्ड फुड में चीनी की मात्रा अधिक होती है. चीनी खाने वालों में मरने का खतरा चीनी कम खाने वालों से 3 गुना अधिक होती है.इसलिए मीठा खाने से परहेज करें. साथ हीं मीठा बोलने वालों से भी दूरी बनाकर रखें. मीठा बोलने वाले अपनी मीठी मीठी बातों में आपको बहलाकर आपका बहुत नुकसान कर सकते हैं. एक फिल्मी गाना भी तो इसी तरफ इशारे करता है -
मीठी मीठी बातों से बचना जरा .
दुनियां के लोगों में है जादू भरा.
अगर आपको मीठा खाना हीं हो तो प्राकृतिक मीठास को तरजीह दें. प्राकृतिक मीठास फलों में होता है. आप उन फलों का सेवन ज्यादा करें, जिनमें मीठास के साथ खटास हो. खटास होगा तो वह फल विटामीन C से भरपूर होगा. आम , अमरूद, संतरा आदि फलों में विटामीन C प्रचुर मात्रा में होती है. विटामिन C खून में चीनी का स्तर सामान्य रखता है .चीनी खाने की बजाय गन्ना चूसें और चुकंदर खाएं . खीर खाना हो तो उसे गन्ने या चुकंदर के रस में पकाएं.
रही मीठे बोल वालों पर विश्वास करने की तो आपको यह पता लगाने में माहिर होना पड़ेगा कि किसको बोल प्राकृतिक हैं और किसके कृत्रिम. आपको पता चल जाना चाहिए कि आपकी की गयी कौन सी प्रशंसा अतिश्योक्ति से लबरेज है ? अतिश्योक्ति में कवि भी पीछे नहीं है. एक कवि ने राधा के बोल इतने मीठे बना दिए कि उसके सामने चीनी चकित, दाख (मुन्नका) दुःखी , मिश्री मुड़कर चल पड़ी और सुधा लज्जित हो गयी.
राधा के वर बैन सुनी,
चीनी चकित सुहाय.
दाख दुःखी, मिश्री मुड़ी ;
सुधा रही सकुचाय.
         - इं एस डी ओझा

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