पियवा सीवान से अन्हार भइला आई.

भरत शर्मा का यह लोकप्रिय गीत बिहार के सीवान जिले को काफी मशहूर कर गया. कभी सीवान मशहूर था देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्रप्रसाद की जन्मस्थली की वजह से. अाज मशहूर है बाहुबली शाहबुद्दीन की वजह से. उत्तर प्रदेश से सटा बिहार का यह जिला कोशल प्रदेश का सीमांत था.सीमांत की वजह से हीं इसे सीवान (सीमा) कहा गया .सीवान के पूर्वोत्तर में बिहार के सारण, गोपालगंज जिले हैं तो दक्षिण पश्चिम में उत्तर प्रदेश के बलिया व देवरिया जिले . सीवान का एक अनुमंडल महाराजगंज है. कहते हैं कि यहां महाराज शिवमान की राजधानी थी. आज भी यहां पर पुराने किले और महल हैं. इसलिए इसे महाराजगंज कहते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि महाराज शिवमान के नाम पर हीं इस पूरे क्षेत्र को अपभ्रंशित कर सीवान कहा गया है. खैर, मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.
सीवान का एक गांव है -मैरवां. मैरवां जहां हरिराम बाबा की समाधि है. यहां दूर दूर से लोग परालौकिक आत्माओं से मुक्ति के लिए आते हैं. हरिराम बाबा का असली नाम हरिराम दुबे था. हरिराम दूबे गौ पालन कर जीवन यापन करते थे . एक बार गाय चराते समय पेड़ की छांह में उनकी आंख लग गई. आंख लगी और इधर उनकी गायें उसी गांव के एक दबंग के फसलों से भरपूर खेत में जा घुंसी. दबंग ने उन गायों को अपने दुआर पर लाकर बांध दिया. हरिराम के अनुनय विनय का कोई असर नहीं हुआ. हरिराम दुबे उसी के द्वार पर आमरण अनशन पर बैठ गये. फिर भी दबंग का दिल नहीं पसीजा. सातवें दिन उसी घर की एक लड़की के हाथों तुलसी गंगाजल पी हरिराम दुबे ने प्राण त्याग दिए. दबंग का सारा कुछ मटियामेट हो गया. उसके कुल का नाश हो गया. केवल उस लड़की की हीं वंशावलि आज भी चल रही है. हरिराम दुबे मरकर  हरिराम बाबा कहलाए. वे अमर हो गए .
सीवान के दरौली गांव में मुगल शाहजादा दाराशिकोह रह चुके हैं. उन्हीं के नाम पर इस गांव का नाम दरौली पड़ा. सिसवां गांव में एक बौद्ध स्तूप है ,जहां गौतम बुद्ध का दाह संस्कार हुआ था. प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा वृतांतों में इस जगह का जिक्र है. मेंहदार में भगवान शंकर का एक भव्य मंदिर है, जहां दूर दूर से लोग दर्शन करने आते हैं. जीरादेई ? जीरादेई को कौन नहीं जानता ? जीरादेई में हीं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्रप्रसाद का जन्म हुआ था. जीरादेई के आसपास किसी गांव में भारत के महाठग नटवरलाल का भी जन्म हुआ था. बदनाम होंगें तो क्या नाम नहीं होगा ? की तर्ज पर ।
सीवान की हीं धरती से हीं प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ब्रजकिशोर प्रसाद ने पर्दा प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने सीवान से हीं किसान आंदोलन की नींव रखी थी. स्वतंत्रता की लड़ाई में यहां के मजहरूल हक,  महेन्द्र प्रसाद, फूलेना प्रसाद आदि ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया था. लोकनायक जयप्रकाश ने बलिया से बारात लाकर यहीं की प्रभावती देवी का पाणिग्रहण किया था. आज सीवान बिहार मे रेमिटेंस मनी ( विदेशों से कमाया धन) के मामले में प्रथम पायदान पर है.
अपराध की दुनियां से राजनीति में आए बाहुबली शाहबुद्दीन पर आज तकरीबन तीन दर्जन आपराधिक मामले हैं. शाहबुद्दीन को जानते सभी हैं, पर कोई उन पर बात नहीं करना चाहता. मशहूर गजलकार छंदराज सिवान छोड़ मुंगेर जा बसे.आज छंदराज हमारे बीच नहीं हैं .उन्हें मरे तकरीबन छः सात महीने हो गये ,पर जाते जाते वे कह गये हैं-
पत्थर भी गर्म होता है, पानी भी उबलता है.
बर्दाश्त की हद है, इतना भी कोई सहता है.
                        - ई एस डी ओझा
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