त्रिकोणीय प्रेम।
बहुत पहले यशपाल की एक कहानी पढ़ी थी । वह त्रिकोणीय प्रेम पर आधारित थी । कहानी की नायिका पति को तो चाहती हीं है साथ में प्रेमी को भी उतनी हीं शिद्दत से चाहती है । पति बेचारा परेशान है । इस कहानी का अंत बहुत दर्दनाक होता है ।पति पत्नी के कहने पर उसका गला रेत देता है । प्रेमी को भनक लग जाती है । वह पुलिस को खबर कर देता है । पुलिस आती है । पत्नी अभी जीवित है । उसकी सांस अभी चल रही है । वह अपनी मौत का इल्जाम खुद पर ले लेती है ।
फिल्मों में पहले त्रिकोणीय प्रेम नहीं होता था । महबूब खान की फिल्म अंदाज के बाद इसका चलन फिल्मों में बढ़ा । राजकपूर ने इसी थीम को आगे बढाया था । उन्होंने फिल्म संगम बनाई । थीम क्लिक कर गयी थी । फिल्म बहुत चली । इसमें राजेन्द्र कुमार के किरदार को मरना पड़ा था । संगम के बाद त्रिकोणीय प्रेम पर आधारित बहुत सी फिल्में बनीं । या यूँ कहें कि इस तरह की फिल्मों की बाढ़ आ गयी तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
त्रिकोणीय फिल्मों में तीसरे को इस परिदृश्य से आखिर हटना पड़ता था । वह स्वेच्छा से हट जाता था । अक्सर वह मौत का वरण कर लेता था । इसमें त्याग की भावना थी । त्रिकोणीय संघर्ष में एक का प्रेम की बलिवेदी पर बलिदान होना आवश्यक होता था । लेकिन ऐसा अक्सर किस्से कहानियों और फिल्मों में हीं होता है । असल जिंदगी में ऐसा बहुत कम होता है ।
असल जिंदगी में एक के लिए दो संघर्ष करते हैं । दोनों का संघर्ष चरम पर पहुँचता है । दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन बन जाते हैं । नतीजा एक की मौत होती है । मारने वाला भी जेल की राह पकड़ता है । तीन जिंदगियां एक साथ बरबाद होतीं हैं । मैंने ऐसे त्रिकोणीय प्रेम में कभी किसी को आबाद होते नहीं देखा है ।
त्रिकोणीय प्रेम में विवाहेत्तर संबंध भी आते हैं । हम आए दिन अखबारों में "पति पत्नी और वो " के किस्से पढ़ा करते हैं । यह किस्सा पहले गुप्त रुप से चलता है । फिर पति को पता चलता है । फिर क्लेश बढ़ता है । इसके बाद एक को परिदृश्य से हटना पड़ता है । उसकी हत्या कर दी जाती है । बहुत कम होता है , पर ऐसा भी होता है कि एक स्वेच्छा से मौत को गले लगा लेता है । इस तरह के क्लेश में वे लोग भी शामिल होते हैं, जिन्होंने प्रेम विवाह किया होता है ।
त्रिकोणीय प्रेम में जुनून, घनिष्टता और प्रतिबद्धता तीन फैक्टर काम करते हैं । जुनून समय के साथ हवा हो जाता है । घनिष्टता कम होती जाती है , लेकिन प्रतिबद्धता तो समय के साथ चलती है । यह कम नहीं होती । जब प्रतिबद्धता कम हो जाती है या बिल्कुल खत्म हो जाती है तो त्रिकोणीय प्रेम जनम लेता है । यह बहुत कम लोगों को आबाद करता है ।
ऐसे प्रेम जुनून, घनिष्टता और प्रतिबद्धता से शुरु होते हैं ।
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