तुम बिन जाऊं कहां ?
वालीवुड के दो दिग्गज गायक किशोर कुमार व मोहम्मद रफी के बीच तनातनी की खबरें बहुत दिनों तक चलीं थीं. यहाँ यह बताना प्रासांगिक होगा कि दोनों अपने अपने अंदाज के बेजोड़ गायक थे. जहाँ मोहम्मद रफी दिलीप कुमार, राजेन्द्र कुमार और शम्मी कपूर के आवाज बन गए थे, वहीं किशोर कुमार देवानन्द, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन को अपनी अावाज के साथ इस कदर अात्मसात कर लिया था कि किसी दुसरे गायक की आवाज उन पर फबती हीं नहीं थीं.
मोहम्मद रफी के गाए गानों में जहां विविधता थी, एक रेंज था, वहीं किशोर के गाए गानों में एक अल्हणपन, एक बिंदासपन झलकता था.
किशोर के बाद के दिनों के गाए गानों ने(जो कि 'यूडले यू ' नाम से मशहूर हुए ) तहलका मचा दिया. जिन्दगी एक सफर , है सुहाना, जैसे गानों के दम पर किशोर कुमार ने जो जनता के दिलों पर राज किया वह अन्यत्र दुर्लभ है. इन गानों से श्रोता इतने प्रभावित हुए कि सभी संगीतकार किशोर से हीं गवाने लगे. मोहम्मद रफी हासिए पर चले गए . जब मोहम्मद रफी हज के लिए गये तो इसी को बहाना बना कई संगीतकारों ने अपने सारे गीत किशोर कुमार से गवा लिए. यही नहीं उनकी आवाज के पर्याय बने दिलीप कुमार ने भी उनका साथ छोड़ दिया. फिल्म सगीना महतो के सारे गाने दिलीप कुमार ने किशोर कुमार से गवाए. 'आग लगी हमरी झोपड़िया में हम गावई मल्हार' और 'साला मैं तो साहब बन गया ' आदि गानों की धूम उन दिनों खूब मची थी. दुश्मन फिल्म की प्रसिद्ध कव्वाली, " वादा तेरा वादा, वादे पे तेरे मारा गया बन्दा मैं सीधा सादा " पहले मोहम्मद रफी गाने वाले थे, पर राजेश खन्ना के हस्तक्षेप से यह कव्वाली किशोर कुमार से गवाई गयी. कई प्रसिद्ध संगीत कारों ने मोहम्मद रफी को किशोर कुमार वाली स्टाइल में गाने के लिए सलाह दी.
इन सब के बावजूद किशोर कुमार की आवाज की एक सीमा थी. मोहम्मद रफी की आवाज में एक शास्त्रीयता थी. शास्त्रीय संगीत का नायाब उदाहरण उन के गाए दो गीत - मन तड़पत हरि दर्शन को आज और मन रे तू काहे ना धीर धरे, विश्व की अमर धरोहर हैं. कहते हैं कि गीत, "ओ दुनियां के रखवाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले, " को गाते समय मोहम्मद रफी के मुंह से खून आ गये थे.
लाख प्रतिस्पर्धा के बावजूद रफी व किशोर एक अच्छे दोस्त की तरह रहे. वे जब भी मिलते. घंटों बातें करते. मोहम्मद रफी की मौत के बाद किशोर घंटों उनके शव के पास बैठ कर रोए थे. यहाँ फिल्म "प्यार का मौसम " का एक गाना , जिसे कि किशोर व रफी ने अलग अलग गाया है, आपके श्रवण के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे आपको पता चलेगा कि दोनों गायक अतुलनीय थे. गाने के बोल हैं -
तुम बिन जाऊं कहां ?
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