बन के तमाशा मेले में आया.

जानी वाकर का जन्म 15 मई सन् 1923 को हुआ था. इनका असली नाम बदरूद्दीन जमालुद्दीन काजी था. जानी वाकर इनका फिल्मी नाम था,  जिसे उन्होंने खुद ह्विस्की के एक ब्राण्ड से लिया था. ब्राण्ड आज भी है, पर जानी वाकर हमारे बीच नहीं हैं. सर्वप्रथम वे बस कंडक्टर थे, जहां ये अपने हंसोड़ अंदाज में लोगों को टिकट काटा करते थे. उन पर प्रसिद्ध अभिनेता बलराज साहनी की नजर पड़ी. बलराज ने उन्हें उस जमाने के सुप्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता ,निर्देशक गुरूदत्त से मिलवाया. जानी वाकर स्क्रीन टेस्ट में पास हुए. उन्हें फिल्म बाजी में एक छोटी सी भूमिका मिली. फिल्म बाजी (1955) से फिल्म चाची 420 (1998) तक का उनका फिल्मी सफर बड़ा सुहाना रहा. उन्होंने तकरीबन 325 फिल्मों की पारी खेली. उन्हीं के नक्श-ए- कदम पर चलते हुए दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत भी बस कंडक्टर से अपना फिल्मी सफर शुरू किया था. उनका स्पष्ट कहना है कि कंडक्टर से एक्टर बनने की प्रेरणा उन्हें जानी वाकर से मिली थी.
जानी वाकर पर फिल्माया गया फिल्म प्यासा का एक गाना, "सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए " काफी हिट हुआ था. गाना कैसा भी हो जानी वाकर उसमें अपनी एक्टिंग से जान डाल देते थे. यही कारण था कि उस दौर के डिस्ट्रीव्यूटर और फाइनेंसर जानी वाकर पर एक गाना फिल्माने की की शर्त अवश्य रखते थे. जानी वाकर ने 5 दशकों तक लोगों को हंसाया गुदगुदाया था. उनकी अपनी आवाज मोटी थी. इसलिए उन्होंने फिल्मों के लिए अपनी एक अलग आवाज विकसित की,जिसे सुनकर बरबस हंसी आ जाती थी. उनकी प्रमुख फिल्मों में चौदहवीं का चांद, नया दौर, मधुमति, प्रतिज्ञा, शिकार, प्यासा, सी आई डी, मि. एण्ड मिसेज 55 और आर पार हैं.
जानी वाकर बहुत हीं हाजिर जवाब इंसान थे. विपरीत परिस्थितियों में उनकी हाजिर जवाबी कमाल की होती थी. बात सन् 1977 की है.  मेरठ में एक चुनावी सभा में दिलीप कुमार और जानी वाकर आने वाले थे. वे दोनों लेट हो गये थे. भीड़ में रोष बढ़ रहा था. अचानक  दोनों पहुंचे. आते हीं जानी वाकर ने माइक सम्भाला. तभी एक दनदनाता हुआ चप्पल जानी वाकर के पास आकर गिरा. जानी वाकर ने वह चप्पल उठाया और कहा," एक चप्पल क्या फेंकते हो ? दुसरी भी दो जानी. "
हंसी की लहर भीड़ में फैल गयी. माहौल हास्य में बदल गया. उसके बाद दिलीप कुमार ने सभा को सम्बोधित किया.
जानी वाकर को दो बार फिल्मफेयर पुरूष्कार मिल चुका है -
1959 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता.
1968 में सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता.
आज के हीं दिन 29 जुलाई सन् 2003 को जानी वाकर ने अंतिम सांस ली थी.
अपने पर हंसकर जग को हंसाया,
बन के तमाशा  ,  मेले में आया.
                                -Er S D Ojha


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