आवारा हूँ ।

 आवारा फिल्म 1951 में रिलीज हुई थी । यूँ तो इसके सारे गीत बहुत मकबूल हुए थे , लेकिन " आवारा हूँ " गीत ने लोकप्रियता का इतिहास रचा था । जब यह फिल्म रुस में रिलीज हुई थी तो इसे बहुत कामयाबी मिली । मास्को में इस फिल्म का प्रिमीयर रखा गया था । राजकपूर से मिलने के लिए,  उनको छूने के लिए लोग दीवाने हुए जा रहे थे । लोगों ने उन्हें कंधों पर बिठा रखा था ।  " आवारा हूँ " गीत अनवरत बज रहा था ।

चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई जब मुंबई पहुँचे तो मुकेश ने उन्हें "आवारा हूँ " गीत सुनाया था । गीत सुनकर चाऊ एन लाई बहुत प्रभावित हुए । उन्होंने मुकेश को एक बहुत सुंदर पेन गिफ्ट किया था । मुकेश ने उस पेन को जीवन पर्यंत अपने पास रखा । जब वह मरे तो उन्होंने वह पेन अपने पुत्र नीतिन मुकेश के लिए बतौर निशानी छोड़ गये थे । उम्मीद है कि वह पेन अब भी महफूज होगा ।

"आवारा हूँ " गीत केवल साम्यवादी देशों तक हीं सीमित नहीं रहा । यह गीत अफगानिस्तान,  तुर्कीस्तान,  ईरान , इराक,  जापान,  जर्मनी और अफ्रीकी देशों में भी बहुत लोकप्रिय हुआ था । 50 के दशक में जब पंडित जवाहरलाल नेहरू रुस गये थे तो रात्रि भोज में यह गीत बाजे गाजे के साथ गाया गया था । गाने वालों में शामिल थे राष्ट्रपति निकोलोई बुल्गानिन और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य । डा मनमोहन सिंह के समय में भी यही कहानी दोहराई गयी ।

1996 में रणधीर कपूर और ऋतु नंदा जब चीन गये थे तो वहाँ उनका स्वागत " आवारा हूँ " गीत के जरिए किया गया था । गीत सुनकर भाई बहन बहुत द्रवित हो गये थे । उनकी आंखों में झिलमिल होते हुए आंसूू गिरने गिरने को हो रहे थे । यह गीत भारतीयता की पहचान बन गयी थी । बंदरगाह में काम कर रहे एक भारतीय को देखकर एक लड़की ने " आवारा हूँ " गाया  । वह लड़का चिहुंक गया था । उस लड़के ने स्पष्ट किया-  वह आवारा नहीं है । पास के बंदरगाह में काम करता है ।

एक और दृष्टांत है । एक भारतीय से सिर्फ इसलिए पैसे नहीं लिए गये कि वह भारतीय है और उसने " आवारा हूँ " गीत तरन्नुम में गाया था । वह भारतीय थे - जाने माने बाॅलीवुड अभिनेता परीक्षित साहनी । आज भी विदेशों में किसी भारतीय को देखकर लोग " आवारा हूँ " गाते हैं । ऐसा कर वे उस भारतीय के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं । उसके  भारतीयता को मान देते हैं ।

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