खिचड़ी

 मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है । खिचड़ी के नाम पर मेला भी लगता है । खिचड़ी एक सुपाच्य भोजन है । रात को खाने पर अच्छी नींद आती है । आजकल  सोशल मीडिया पर भी अच्छी खिचड़ी पक रही है । समान विचारधारा वाले लोग मिल जुलकर खूब ऊधम मचा रहे हैं । गल्ती से कोई असमान विचारधारा का कोई प्राणी भटकता हुआ उनके बीच जा फंसता है तो उसकी शामत आ जाती है । कुछ को हमने दुम दबाकर भागते हुए देखा है । कुछेक को ताल ठोंककर उनसे लड़ते भिड़ते हुए भी देखा है ।

बीवी जब रुठकर मायके चली जाती है तो पति बेचारा इसी खिचड़ी के सहारे जीता है । इसी खिचड़ी के सहारे वह बीमार  पत्नी की तीमारदारी करता है । वह एड़ी चोटी के जोर पर खिचड़ी पकाता है । पत्नी को खिलाता है । खुद खाता है और बच्चों को भी खिलाता है । ऐसा पति पत्नी की आंखों का तारा बन जाता है । भगवान यह इल्म सभी पतियों को दें ।

खिचड़ी के चार यार हैं-  दही,  पापड़, घी और अचार । मकर संक्रांति वाले दिन ये चारों यार हम जैसों को मिल जाते हैं , वरना और दिन तो केवल तीन हीं मिल पाते हैं । घी खाना तो सपने देखने के बराबर है । ऐसा सुना है कि घी से केवल कोलोस्ट्रोल हीं नहीं  बढ़ता , बी पी भी बढ़ता है । इसलिए लोग इस यार से दूरी बनाकर हीं रखते हैं ।

हर घर की एक हीं समस्या होती है - आज खाने में क्या बनाऊं ?जब आपकी पत्नी यह डायलाॅग बार बार दोहराए तो आपको समझ में आ जाना चाहिए कि आज के दिन वह आराम करने के मूड में है । आप को तत्क्षण हीं कह देना चाहिए-  खिचड़ी बना लो । पत्नी खुश हो जाएगी । उसे खुशी इस बात की होगी कि उसने खिचड़ी बनाने का प्रस्ताव नही दिया था । वह तो खिचड़ी डिमाण्ड पर बना रही है ।

बाल जब तक खिचड़ी बने रहते हैं तब तक आप जवान बने रहते हैं । जब ये पूरे सफेद हो जाते हैं,  आप फौरी तौर पर दादाजी की श्रेणी में आ जाते हैं । आपको मान सम्मान मिलने लगता है , लेकिन पता नहीं क्यों आप इस सम्मान से खुश नहीं होते । आप सोचते हैं कि ये बाल कुछ दिनों और खिचड़ी बने रहते । आप कुछ दिनों और जवान बने रहते ।

बीरबल की खिचड़ी एक मुहावरा है , जो कभी नहीं पकी थी । वैसे बीरबल को खिचड़ी पकानी भी नहीं थी । उन्हें तो बादशाह बीरबल को एक सबक देना था । वह दे दिया था । लेकिन उन्हीं के नामराशि बीरबल झा ने आज से दो साल पहले खिचड़ी पकायी थी । यह खिचड़ी दिल्ली में पकी थी । 

मिथिला लोक फाउंडेशन के अध्यक्ष बीरबल झा ने मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर " खिचड़ी पर चर्चा " कार्यक्रम का आयोजन करवाया था । दिल्ली में चले इस कार्यक्रम में शिक्षा,  व्यापार और राजनीति से जुड़े लोगों ने शिरकत की थी ।

खिचड़ी एक सुपाच्य भोजन है । यह शिशु का आहार है । इस खिचड़ी को खाकर वह शिशु बड़ा बनता है । पढ़ाई लिखाई कर योग्य बनता है । फिर वह माँ बाप को सिखाने लगता है । माँ बाप भौंचक्के होकर देखने लगते हैं- 

जिसे चींटी से लेकर चाँद सूरज सब सिखाया था ,                वही बच्चा बड़ा होकर सबक हमको पढ़ाता है ।

खिचड़ी का सुपाच्य भोजन करने वाला यह लड़का बड़ा होकर अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगता है ।

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