जब जब भूमि पर शत्रु नजर करता है.

बात आज से 7200 विक्रम सम्बत् पहले की है. महर्षि परशुराम ने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए सहस्त्रबाहु का संहार किया. सहस्त्रबाहु एक क्षत्रिय था. इसलिए सहस्त्रबाहु की वजह से परशुराम जी ने 18 बार क्षत्रियों का नाश किया. क्षत्रियों के नाश के उपरांत उन्होंने उनकी जमीन अपने उपासक ब्राह्मणों में बांट दी. जमीन मुफ्त में मिली तो ये ब्राह्मण खेती करने लगे. इन्हें किसान ब्राह्मण या अयाचक ब्राह्मण कहा गया.
अयाचक ब्राह्मणों का मूल स्थान मदारपुर था. मदारपुर कानपुर -फरूखाबाद की सीमा पर रेलवे स्टेशन बिल्हौर के नजदीक है. सन् 1528 में मुगल बादशाह बाबर ने मदारपुर पर आक्रमण कर सभी ब्राह्मणों को मार डाला. एक युवती का केवल गर्भ बच गया. उस गर्भ से पैदा हुए गर्भू तिवारी. गर्भू तिवारी से वंश बेलि पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फैल गई .
बनारस के महाराज ईश्वरी प्रसाद सिंह ने ,जो कि स्वंय एक अयाचक ब्राह्मण थे, एक सभा बुलायी. इस सभा में यह तय किया जाना था कि अयाचक ब्राह्मणों को क्या उपाधि दी जाय ? चूंकि ये ब्राह्मण खेती करते थे. इसलिए कुछ लोगों ने किसान ब्राह्मण नाम की संस्तुति की. कुछ लोगों ने भूमिहार नाम सुझाया. यह नाम हीं सर्वमान्य हुआ. तब से ये अयाचक ब्राह्मण भूमिहार (ब्राह्मण)  कहलाए.
कुछ जगहों पर भूमिहार लोग पुरोहिती भी करते हैं. प्रयाग के जितने पण्डे हैं, वे भूमिहार हीं हैं. हजारी बाग के इटरखोरी, चतरा के इलाके में भूमिहार पुरोहित होते हैं. गया के सूर्य मंदिर के पुजारी भूमिहार हैं.  बनारस राज्य 1725-1947 के दरमियां भूमिहार राजाओं के अधिपत्य में रहा. बनारस के भूमिहार राजा चैत सिंह ने अंग्रेज वारेन हेस्टिंग्स से लोहा लिया था.
भूमिहार (ब्राह्मण) में बड़े विज्ञ पुरूष हुए हैं. किसान आंदोलन के जनक सहजानंद सरस्वती, क्रान्तिकारी बैकुंठ शुक्ल, सन् 1857 के गदर के नायक मंगल पाण्डेय, प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' , महापण्डित राहुल सांकृत्यायन, साहित्यकार रामवृछबेनीपुरी आदि भूमिहार ब्राह्मण ही हैं. भूमिहार ब्राह्मणों के बारे में पाश्चात्य विद्वान एम ए शेरिंग ने लिखा है - " ये हथियार उठाने वाले ब्राह्मण हैं. " मी वीन्स ने लिखा है, " ब्राह्मणों की ऐसी किस्म, जो बहादुर व निर्भिक है .इसमें आर्यों के सभी गुण मौजूद हैं ." भूमिहार कान्यकुब्ज, सरयूपारीण, मैथिल, महियाल, चित्पावन ब्राह्मण होते हैं.
भुमिहार लगभग याचक ब्राह्मणों के सभी टाइटिल अपनाए हुए हैं. यथा- पाण्डेय, तिवारी, मिश्र, शुक्ल, उपाध्याय, शर्मा, पाठक, दुबे आदि . इसके अतिरिक्त ये राय, शाही, सिंह, चौधरी, ठाकुर सिन्हा भी लिखते हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान में इन्हें त्यागी ; पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल में भूमिहार ; जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा में महियाल, मध्य प्रदेश व राजस्थान में गालव ; गुजरात में अनाविल ; महाराष्ट्र में चित्पावन व कार्वे  ;  कर्नाटक में अंयगार व अय्यर ;आंध्र प्रदेश में नियोगी ; उड़ीसा में दास व मिश्र कहे जाते हैं.
भूमिहार को भूईंहार भी कहते हैं. ये लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार व कुछ अन्य प्रान्तों में भी पाए जाते हैं. कुछ भूमिहार लोग मारीशस में भी रहते हैं. पुष्यमित्र शुंग भी अयाचक ब्राह्मण थे. भारत वर्ष से बौद्ध धर्म के खात्मे में पुष्यमित्र शुंग का बहुत बड़ा हाथ है. यह एक मार्शल कौम है, जिसने ब्राह्मण होते हुए भी अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए हथियार उठाया.
जब जब भूमि पर शत्रु नजर करता है.
इन रगो में तब भूमिहारी लहू बहता है  .
         - इं एस डी ओझा

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