वैर बढ़ाते मस्जिद, मंदिर ; मेल कराती मधुशाला.

शराब पीना आजकल स्टेट्स सिम्बल बन गया है. शादी ब्याह में छप्पनों व्यंजन पकवाइए ,पर मेहमानों व बारातियों को शराब नहीं परोसी तो कुछ भी आवभगत नहीं हुई. बारातियों व मेहमानों का मुंह सूजा हीं रहेगा. जवानों में शराब का क्रेज सिर चढ़कर बोलता है. एक बार आप शराब पीते हैं तो आप पर नशा तारी हो जाता है. यह नशा अच्छा लगता है. दुबारा पीने का मन करता है. जब दुबारा पीते हैं तो आदत बन जाती है. फिर, तो मशहूर गजलकार दुष्यंत कुमार के शब्दों में कहना पड़ता है-
मैकशो मय जरूर है लेकिन,
इतनी कड़वी कि पी नहीं जाती.
इक आदत सी बन गई है तू,
और आदत कभी नहीं जाती.
आदत लग जाती है. जरूरत से ज्यादा पीने पर सेहत पर प्रभाव पड़ता है .डायबिटीज, हार्ट अटैक, लीवर सिरोसिस, किडनी फेल्योर और पैनक्रियाज में  समस्याएं उत्त्पन्न होनी शुरू हो जाती है. ये समस्याएं न हो, उसके लिए स्वयं एक लक्षमण रेखा खिंचनी होगी. शराब पीने के मान दण्ड तय करने होंगे. मर्द के लिए दो पैग और मोहतरमा लोगों के लिए डेढ़ पैग. यदि शराब पीने से पहले दो तीन ग्लास पानी पी ली जाय तो लीकर कम कनज्यूम होगा. बेहतर होगा कि खाना थोड़ा खाने के बाद शराब पी जाय. खाली पेट शराब इसलिए पी जाती थी ताकि उल्टी न आए. अब जब खाना खाकर शराब पियेंगे तो यह डर सताएगा कि कहीं उल्टी न हो जाए. आप डरेंगे तो कम पिएंगें. यदि आप शराब छोड़ चुके हैं तो भूलकर भी दुबारा न शुरू करें. एक बार फिर शूरू किया तो आप दुगुने उत्साह से फिर मयकश हो जाएंगें. पिछले साल एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार रवीन्द्र कालिया का निधन लीवर सिरोसिस से हो गया. उन्होंने  बड़ी मुश्किल से शराब छोड़ी थी . उनकी आत्म कथा "गालिब छूटी शराब " में इसका बड़ी तफसील से वर्णन किया गया है. जब उन्होंने दुबारा शुरू किया तो वे बहुत तगड़ी फ्रीक्वेंसी पर थे. नतीजा क्या निकला ? केवल मौत .
वैसे शराब कम मात्रा में पी जाए तो टानिक और ज्यादा मात्रा में हो तो टाक्सिक . यह मात्रा के समानुपातिक होती है. शराब एक अच्छा इंसुलिन सेंसीटाइजर है. इससे 30% बल्ड शुगर कम रहता है. रात के खाने से पहले यदि दो पैग ह्विस्की या रम ली जाय तो सुबह बल्ड शूगर नियंत्रित मिलेगा. उसी प्रकार रेड वाइन एक अच्छा एंटी आक्सीडेंट होता है. कम मात्रा में ली जाए तो बुढ़ापा देर से आता है. मुहांसे व रूखी त्वचा के लिए यह औषधि होती है. शराब से स्क्रब तैयार की जाती है जो त्वचा में चमक लाती है.
शराब पर पाबन्दी पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देशाई ने अखिल भारतीय स्तर पर लागू किया था, तो लोगों ने मृत्यु संजीवनी सुरा पान करना शुरू कर दिया. मृत संजीवनी सुरा एक आयुर्वेदिक औषधि है ,उसको मोरारजी भाई बैन नहीं कर सके. लोग धड़ल्ले से सुरा पीते रहे और समानान्तर में बैन भी चलता रहा. किसी को किसी से शिकायत नहीं. वंशीलाल ने हरियाणा में शराब बैन किया तो पड़ोसी राज्यों से लोग शराब लाकर पीने लगे. अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतिशे कुमार को भी शराब बन्दी को सूझी है. , लोग धड़ल्ले से झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, बंगाल जिन्दाबाद करने लगे हैं. जब तक आपके चेतन मन में जागृति नहीं आएगी, तब तक शराब आपके लिए खासमखास बनी रहेगी.
चलते चलते एक और शराब से फायदा गिनवा दूं, जिसे सुप्रसिद्ध कवि हरिवंश राय "बच्चन "ने कहा है -
मुसलमान औ' हिन्दू हैं दो,
एक मगर उनका प्याला.
एक मगर उनका मदिरालय,
एक मगर उनकी हाला.
दोनों रहते एक न जबतक,
मस्जिद, मंदिर जाते.
बैर बढ़ाते मस्जिद, मंदिर ;
मेल कराती मधुशाला.
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