अतिथि तुम कब जाओगे
अतिथि के आने की की कोई तिथि नहीं होती है । वह अपनी मर्जी से आता है । अपनी मर्जी से जाता है । इसलिए उसे देवता की उपाधि दी गयी है । वह रात के 12 बजे भी आपके घर का दरवाजा खटखटा सकता है । आपको आंख मलते हुए दरवाजा खोलना पड़ेगा । होठों पर कृत्रिम हीं सही मुसुकराहट लानी पड़ेगी । "अतिथि देवो भव " जो होता है ।
दामाद भी अतिथि होता है । वह भी कभी आ सकता है । आप उसका खुले मन से स्वागत करेंगे । हद तो तब हो जाएगी कि जब वह आकर जाने का नाम नहीं लेगा । आपका बटुआ थर थर कांपेगा और वह ठसक के साथ आपके घर में विराजमान रहेगा । मुफ्त की रोटियां तोड़ता रहेगा ।
पंचतंत्र की कथा में ऐसे चार दामाद एक घर में आते हैं । आकर जाने का नाम नहीं ले रहे थे । वैसे हीं जैसे आजकल कोरोना कर रहा है । फिर उनके खान पान में हेर फेर की गयी । आवभगत में कमी की गयी । तीन तो चले गये । लेकिन एक डटा रहा । उसके गरदन में अर्द्ध चंद्राकर लगाकर भगाया गया । यूँ कहे कि उसे गरदनियाआ गया ।
अतिथि को मेहमान भी कहते हैं । मेहमान दो दिन का भला लगता है । तीसरे दिन वह शैतान लगने लगता है । आप इशारों इशारों में पूछने लगते हैं - अतिथि तुम कब जाओगे ? मेहमान घाघ निकलता है । वह " विन फेरे हम तेरे " की तर्ज पर डटा रहता है । शायद तभी यह मुहावरा बना होगा - मान न मान मैं तेरा मेहमान ।
मेहमान दिल का भी होता है । आप उससे पूछते रह जाते हैं -
"ये तो बताओ , कौन हो तुम ? मुझसे पूछे बगैर दिल में आने लगे , आते आते हीं विजली गिराने लगे ।"
वह दिल में जब एक बार समा जाता है तो फिर जाने का नाम नहीं लेता है । पहले दिल , फिर जानेजां , फिर दिल के मेहमां हो गये की तर्ज पर वह अंगुली पकड़ते पकड़ते पहुँचा पकड़ लेता है । कुछ ऐसे मेहमान होते हैं जो दिल में आते जाते रहते हैं । ऐसे मेहमान को निकालना आसां होता है । आप कह सकते हैं कि ये रोज का आना जाना मुझे पसंद नहीं ।
घर के नवजात को नया मेहमान कहते हैं । पुराने को चंद दिनों का मेहमान कहते हैं । आवभगत दोनों की होती है । एक की खुशी खुशी तो दूजे की कर्तव्य परायणता के वशीभूत होकर ।कई जगहों पर चंद दिनों के मेहमान की अनिच्छा से आवभगत होती है । कई जगहों पर निरादर की हद तक जाकर उनकी अवमानना की जाती है । फिर भी चंद दिनों के ये मेहमान डटे रहते हैं । जाना चाहते हैं , पर उन्हें लेने को मौत नहीं आती । आत्महत्या कर नहीं सकते ।
जीवौं तो बिपति सहो निशि वासर , मरौं तो मन पछिताओ
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