हमको दुश्मन की निगाह से न देखा कीजै.
पिण्डारी पठान राजपूत थे, जो दक्षिण में जाकर बस गये थे. वे आम तौर पर मराठों के लिए लड़ते थे. उनकी तादाद लगभग पचास हजार होगी, जो कि कई दलों में बटे हुए थे. एक दल में लगभग दो से तीन हजार पिण्डारी होते थे. इनका प्रमुख शस्त्र भाला व तलवार थे. ये अक्सर टट्टूओं पर चलते थे. वे मराठा सेना में एक दल के रूप में शामिल होते थे. उन्हें किसी प्रकार का वेतन नहीं दिया जाता था. सिर्फ उन्हें विजित देशों को लूटने की इजाजत थी. लूट के कुछ प्रतिशत हिस्से से हीं वे खुश हो जाते थे.
पिण्डारी पठानों में धार्मिक संकीर्णता जरा भी नहीं थी. उनके साथ जाट और सिख मिलकर लड़ते थे. उनकी औरतें सामान्य हिन्दू औरतों की तरह मांग में सिन्दूर व पैर में बिछुआ पहनती थीं. वे मुस्लिम होते हुए भी हिन्दू देवी देवताओं की भी पूजा करती थीं. शान्ति के दौरान पिण्डारी खेती बाड़ी व व्यापार करते थे. उन्हें गुजारे के लिए लगान मुक्त जमीन दी गई थी. उनके टट्टूओं के लिए भत्ते मिलते थे.
मराठों के अवसान के बाद पिण्डारी स्वतंत्र रूप से काम करने लगे. वे मिर्जापुर से मद्रास तक और उड़ीसा से राजस्थान व गुजरात तक धावा करने लगे. उन्होंने सन् 1812 में बुंदेलखंड, सन् 1812 में निजाम, सन् 1812 में उत्तर भारत में भयंकर लूट मार की. इनकी इस लूट मार से ब्रिटिशर्स को खतरा हो गया.सन् 1817 में ब्रिटिश गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने 1,22,000 की एक बहुत बड़ी सेना पिण्डारियों से निपटने के लिए तैय्यार की. मालवा प्रदेश में अंग्रेजों ने धोखे से इन्हें चारों तरफ से घेर लिया. तलवार व भाला चलाने वाले पिण्डारी तोपों के सामने टिक न सके. बहुत से पिण्डारी मारे गये, कुछ बन्दी बनाए गये और कुछ जंगलों में भाग गये. अंग्रेजों ने 'फूट डालो और शासन करो ' की अपनी पुरानी रीति नीति अपनाई . पिण्डारी सरदार करीम खां को गोरखपुर के सीकरीगंज और अमीर को टोंक में जागीर देकर उनका मुंह बन्द कर दिया, जब कि सरदार वसील मोहम्मद को गाजीपुर जेल में डाल दिया. सरदार चित्तू खां भागकर जंगल में जा छिपे, जहाँ चीता ने उनका काम तमाम कर दिया.
पिण्डारियों पर अभी एक फिल्म आई थी -वीर. सलमान खान अभिनीत यह फिल्म पिण्डारियों को बहुत अच्छी लगी. पिण्डारी इस बात से खुश हैं कि इस फिल्म में उनका वास्तविक इतिहास दर्शाया गया है.आज इन पिण्डारियों का अपना संगठन है. पिण्डारी वंशज लुकमान इनके नेता हैं. उनका कहना है कि इतिहास मे अंग्रेजों ने हमें अमानवीय, आक्रांता व अराजक दिखाया है और सभी ने इसे मान भी लिया है. यदि हमने लूट मार की है तो अंग्रेजों के साथ की है. अंग्रेजों से जो लड़ा, वह फ्रीडम फाइटर हो गया तो हम आक्रांता कैसे हो गये? लुकमान ने राष्ट्रपति को इतिहास दुबारा लिखने के लिए चिट्ठी लिखी है.
हमको दुश्मन की निगाह से न देखा कीजै.
प्यार हीं प्यार हैं हम, हम पे भरोसा कीजै.
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