नरेन्द्र सिंह चौधरी -

देश के लिए जीना, देश के लिए मरना.
जंगल वार फेयर कालेज, छत्तीसगढ़ के कांकेर में तैनात नरेन्द्र सिंह चौधरी बिना खाए पिए लगातार पचास किलोमीटर तक चल सकते थे. उन्हें किसी ने कभी बीमार नहीं देखा. इसी खासियत से वे अपने साथियों में स्टील मैन के नाम से मशहूर थे. नरेन्द्र सिंह चौधरी पहले जाट रेजिमेन्ट में थे. वहां से उनका तबादला सन् 2005 में जंगल वार फेयर कालेज,कांकेर ,छत्तीस गढ़ में हुआ .वे वहां नये प्रशिक्षुओं को बम डिसपोजल की ट्रेनिंग दिया करते थे.
कांकेर में उन्होंने लगभग 250 बम डिफ्यूज किए होंगे. वे अपने साथियों को दूर अलग रहने का निर्देश दे, स्वंय बम को अकेले डिफ्यूज करते थे. उन्होंने बहुत बार आंतक वादियों के मंन्सूबों पर पानी फेरा था .इसीलिए वे अब आतंकवादियों के हिट लिस्ट में थे. सन् 2008 में नक्सलियों ने पर्चे छपवा के बांटे थे, जिसमें उनका नाम टाॅप पर था. नरेन्द्र सिंह ने पचास किलो के एक बम को जमीन के अंदर हीं डिफ्यूज किया था, जिससे दस फुट के दायरे में पांच फुट का गड्ढा बन गया था. पूरी सड़क क्षतिग्रस्त हो गई थी. यह बम सुरक्षा बलों के एक बस के लिए लगाई गयी थी .डिफ्यूज होने के बाद काफी बड़ा हादसा टल गया था .
नरेन्द्र सिंह चौधरी को आभास था कि उनकी मौत बम डेस्पोजल के दौरान हीं होगी. इस बात की आशंका वे कई बार अपने साथियों से जता चुके थे. राजस्थान के नागौर जिले के बदल बकलिया गांव के रहने वाले नरेन्द्र सिंह चौधरी का अपना एक फार्म हाउस था. रिटायरमेंट के बाद उनका इरादा वहीं खेती करने का था. फार्म हाउस के चारों ओर वे खुद के दौड़ने के लिए ट्रैक का निर्माण कराना चाहते थे.
मेरे मन में कुछ और है, कर्ता के मन में कुछ और ( Man proposes, God disposes) वाली कहावत चरितार्थ हुई. दिनांक 11 मई, सन् 2016 को आठ बजकर तीस मिनट पर एक ग्रिनेड के चाल के निरीक्षण के दौरान उनकी मौत हो गई. 11मई को राज्य के डी वाई एसपी प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण के दौरान एक ग्रेनेड फेंका गया. वह सात सेकण्ड के तय सीमा में नहीं फटा तो वे उसे देखने के लिए जा रहे थे. जब वे ग्रिनेड से मात्र तीस मीटर की दूरी पर रह गये तो अचानक ग्रिनेड चल पड़ा. उनके पीछे चल रहे दो अन्य ट्रेनर लेट गये, पर नरेन्द्र को सम्भलने का मौका नहीं मिला. ग्रिनेड का एक टुकड़ा उनकी दाईं आंख को भेदता हुआ दिमाग में घुस गया . दिमाग की नस कट जाने की वजह से उनकी मौत हो गई.
मुकद्दर से मिलता है मौका,
कुछ कर गुजरने का.
देश की खातिर जीने का,
देश की खातिर मरने का.
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