सम सामयिकी.
अभी उत्तर प्रदेश का चुनाव साल भर दूर है, पर BJP का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली, बिहार के हार के बाद काफी सतर्क है. मिशन यू पी का आगाज बलरामपुर से हो रहा है, जो कि अटल जी की कर्म भूमि रही है .सन् 2014 का चुनाव तो मोदी जी के नेतृत्व में लड़ा और जीता गया था. उस समय अटल, आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी हासिए पर चले गए थे. जब से दिल्ली और बिहार में मोदी जी की चमक फीकी पड़ी है, तब से उत्तर प्रदेश के लिए एक नए चेहरे की तलाश की जा रही है. वो चेहरा योगी आदित्यनाथ भी हो सकते हैं.
आज " सबका साथ सबका विकास " की जगह " देश भक्त बनाम देश द्रोही " की चर्चा हो रही है. JNU में देश के खिलाफ नारे लगाने वालों को अभी तक पुलिस पकड़ क्यों नहीं पाई ? जब कि कन्हैया की गिरफ्तारी आनन फानन में कर दी गई. जाट आन्दोलन से पूरा हरियाणा जल उठा. मुख्य मंत्री देखते हीं रह गये. जाट आन्दोलन न रोक पाने की अपनी नाकामयाबी पर मुख्य मंत्री एक मीटिंग में रो पड़े. इतना कमजोर मुख्य मंत्री मोदी जी ने क्यों चुना?
कन्हैया को nation wide political star बना दिया गया. अखलाख और रोहित वेमुला को मार असहिष्णुता का वातावरण तैयार कर हम विश्व को कौन सा संदेश देना चाहते हैं?
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