ये रास्ता कहाँ जाता है ?
अक्सर लोग कहते सुने जाते हैं - ये रास्ता कहाँ जाता है ? कुछ बता देते हैं । कुछ को मसखरी सूझती है । वे कहते हैं कि ये रास्ता कहीं नहीं जाता है । यह यहीं रहता है । इस पर चलने वाले लोग जाते हैं । आपको कहाँ जाना हैं? सुनकर आपको गुस्सा आता है । फिर भी आप उनको बताते हैं कि उन्हें कहाँ जाना है । इसके सिवा कोई चारा नहीं होता ।
मेरा मानना है कि रास्ता जाता है । रास्ता हीं समय के साथ जाता है । यह रास्ता तब भी जाता था , जब बैलगाड़ी हुआ करती थी । लोग पैदल चला करते थे । यह रास्ता अब भी चल रहा है जब हम कार में चल रहे हैं । तो तय हुआ कि रास्ता जाता है । समय के साथ जाता है । कवि भी कहता है -
ये रास्ते कहाँ ले जाते हैं, ये रास्ते !
ये रास्ते हीं हैं जो श्रीकृष्ण को दुर्योधन के पास शांति प्रस्ताव लेकर ले गये थे । दुर्योधन पाँच गाँव तो क्या सुई की नोंक के बराबर जमीन देने को भी तैयार नहीं हुआ था । फिर यही रास्ते कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि में भी ले गये थे दुर्योधन को । महाभारत का भीषण युद्ध हुआ था । रक्त से सरस्वती नदी का पानी लाल हो गया था ।
ये रास्ते हीं पानीपत के मैदान में तीन बार अलग अलग समय में अहम योद्धाओं को ले गये थे । इन युद्धों ने इतिहास बदला था ।ये रास्ते हीं हैं जो राणा प्रताप को अपनी आन बान व शान की रक्षा के लिए हल्दी घाटी ले गये थे । कभी राणा प्रताप ने जंगलों की खाक छानी थी । बाद में उल्लास पूर्ण जीवन भी व्यतीत किया था ।
ये रास्ते प्रेमी युगल को भगा कर भी ले जाते हैं । कभी वे भागने में सफल हो जाते हैं और कभी पकड़े जाते हैं । पकड़े जाने पर खाप पंचायतें उनका काम तमाम कर देतीं हैं । ये दिल दा मामला है । इसे दिल को हीं करने देना चाहिए । खाप पंचायतों को इससे दूर रहना चाहिए ।
हर पुरुष के दिल में जाने का रास्ता उसके पेट से होकर गुजरता है । जो औरत यह मर्म जान लेती है , वह पुरुष के दिल में उतर जाती है । उसके लिए पुरुष एलानिया तौर पर कहता है - तुम चाहो जिस रास्ते से आओ , हमने तुम्हारे लिए सब दरवाजे खुले रखे हैं । जो नहीं जानती वह जिंदगी भर बिसूरती रहती है ।
चौराहे भी मसखरी करते हैं । वे भी नहीं बताते कि ये रास्ते किधर जाते हैं ? आप असमंजस में रहते हैं कि किस रास्ते से जाऊं ? कोई एक रास्ता पकड़ कर चल पड़ते हैं । मंजिल मिल जाती है तो ठीक अन्यथा फिर जैसे थे हो जाता है । आपको फिर से दूसरा रास्ता अख्तियार करना पड़ता है । इस तरह से आपकी हालत " जाऊं कहाँ बता ऐ दिल ! दुनियां बड़ी है संगदिल, सूझे न कोई मंजिल " वाली हो जाती है ।
आपको रास्ता मिलता है , लेकिन अपनी मेहनत की बदौलत । रास्ते की खोज में कई बार आपके पाँव नहीं थकते । दिल थक जाता है । कब ? जब रिश्ते इन रास्तों में आ जाते हैं ।
गोड़ लाग तानी नया शुरुआत ।
जवाब देंहटाएंराम जी नाति देसु ।
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