मैं उद्घाटन नहीं करूंगा.

सुप्रसिद्ध कवि केदार नाथ सिंह किसी संगोष्ठी में भाग लेने गोरखपुर आ रहे थे. उन्होंने प्रसिद्ध गीतकार गिरिधर करुण को फोन किया कि संगोष्ठी के बाद वे उनसे मिलने रसूलपुर, देवरिया आएंगे. गिरिधर करुण के पास एक हीं टायलेट था. इसलिए उन्होंने एक और टायलेट तुरत फुरत तैयार करवा दिया ताकि केदारनाथ सिंह को परेशानी न हो और इसकी सूचना भी उनको भिजवा दी.
नियत तिथि को केदार नाथ सिंह गोरखपुर आए. गिरिधर करुण को फोन किया कि आप गोरखपुर आ जाओ. गिरिधर करुण ने बताया कि मैं तो रसूल पुर में आपका इन्तजार कर रहा था लजीज व्यंजनों के साथ. आपके लिए विशेष तौर पर टायलेट भी तैयार करवा रखा था ,जिसकी सूचना आपको दे रखी थी. केदारनाथ सिंह ने कहा कि उसी लिए तो नहीं आ रहा हूं. आप सबसे फक्र के साथ कहोगे कि इस टायलेट का उद्घाटन केदार नाथ सिंह ने किया है.
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