हां जी सुनो! मेरा भी हाल सुनो !!
जी हां, यह छिपकली प्रजाति का हीं जानवर है .कोमोदो ड्रेगन. कुछ लोग इसे कोमोदो मानिटर भी कहते हैं. कोमोदो का निवास इण्डोनेशिया द्वीप के कोमोदो रिंका, फ्लोर्स, गिली मोटंग आदि जगहों पर हैं. इसकी अधिकतम लम्बाई तीन मीटर और वजन लगभग 70 किलो है. इसका मुख्य भोजन चिड़िया होती है, जिसे यह आनन फानन में चट कर जाता है, किन्तु हिरण, बकरे आदि बड़े जानवर भी इनके भोजन बनते हैं. कोमोदो ड्रेगन के मुंह में लगभग 60 दांत होते हैं, जो तकरीबन एक इंच लम्बे होते हैं. इन दांतों में असंख्य जीवाणु छुपे होते हैं. ये जीवाणु कोमोदो ड्रेगन का तो कुछ नहीं विगाड़ते, पर अन्य जानवरों के शरीर में पहुंच उत्पात मचा देते हैं. वह जानवर शनैः शनैः बीमार पड़ता है और शनैः शनैः हीं दम तोड़ देता है. बस, कोमोदो ड्रेगन को उस जानवर को एक बार सिर्फ काटना भर होता है. जब उस जानवर की मरने के बाद लाश सड़ती है तो उसकी गंध कोमोदो ड्रेगन को लगभग 9.5 किलोमीटर दूर से भी आमंत्रित करती है. इतनी अच्छी घ्राण शक्ति के कारण कोमोदो को कभी भी भोजन की कमी नहीं रहती. वह लगतार जानवरों को काटता जाता है . हर समय उसे भोजन मिलता जाता है.
मई से अगस्त तक का समय इसका प्रजनन काल होता है. सितम्बर में मादा अंडे देती है. एक बार में तकरीबन 20 . ये अंडे वह परित्यक्त घोंसलों या खुद के तैयार घोंसलों में देती है. यह जमीन खोदकर घोसलें तैयार करती है. 7-8 महीनो का समय उन अंडों को सेने व अन्य जानवरों से बचाने में व्यतीत हो जाते हैं. अंडों से बच्चे अप्रैल माह में आ जाते हैं, जिन्हें मेच्योर होने में 8/9 साल लग जाते हैं. कोमोदो ड्रेगन की कुल उम्र 30 साल के करीब होती है. अतः एक तिहाई उम्र गुजर जाती है, इन्हें बालिग होने में.
वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत इण्डोनेशिया में कोमोदो ड्रेगन को सुरक्षा प्रदान की गई है. इनके संरक्षण के लिए वहां कोमोदो संरक्षण पार्क बने हुए हैं. कोमोदो अपवाद स्वरूप हीं मनुष्यों पर आक्रमण करता है. इसकी पूंछ इसके शरीर से काफी लम्बी होती है. यह एक तरह से बहरा होता है. इसके सुनने की रेंज 400-2000 हर्ट्ज होती है अर्थात् यह 400 हर्ट्ज से नीचे की आवाज नहीं सुन सकता. इसके सामने फुसफुसाना, तेज आवाज या फिर चिल्लाने से कोई फर्क नहीं पड़ता. यह वही आवाज सुन सकता है जो 400 या 400 हर्ट्ज से ज्यादा हो. मनुष्य की सुनने की क्षमता 20 हर्ट्ज से 2000 हर्ट्ज होती है अर्थात् मनुष्य फुसफुसाने से लेकर चिल्लाने और उससे आगे तोप की आवाज भी सुन सकता है.
कोमोदो ड्रेगन 300 मीटर की दूरी से अपने आब्जेक्ट को देख सकता है. रात को इसे कम दिखाई पड़ता है. यह अपनी जीभ का इस्तेमाल स्वाद व गंध के लिए करता है. इसीलिए यह अपनी जीभ बार बार बाहर निकालता रहता है. इसके गले के पीछे स्वाद ग्रंथियां होती हैं. कोमोदो ड्रेगन सूखी व गर्म जगहों पर रहना पसंद करता है. यह 20 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ सकता है. पेड़ पर चढ़ सकता है. 1-3 मीटर गहरा जमीन में गड्ढा खोद सकता है. यही गड्ढा इसकी रिहायश और छुपने की जगह होती है.
आज जगह की कमी के कारण मनुष्यों के आवास इनके इलाके में बनने लगे हैं. नतीजा कोदोमो ड्रेगन की पूरी जाति संकट में पड़ गई है. इंडोनेशियाई लोग इनके अंडे बरबाद करने लगे हैं. आए दिन कोमोदो ड्रेगन और मनुष्यों के मुठभेड़ की कहानियां अखबारों में छपने लगीं हैं. ये मनुष्यों को काटने लगे हैं और मनुष्य इन्हें मारने लगे हैं.
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