... ........ तेरी कमी अपनी जगह. सारी दुनियाँ की खुशी अपनी जगह.

विश्व प्रसिद्ध मुक्केबाज मोहम्मद अली के बारे में मुझे पहली जानकारी तब हुई जब मैं 10 +2 में था. मैंने बुलवर्कर (कसरत करने का एक सिस्टम)  मंगाया था. उसके लिटरेचर में मोहम्मद अली को उस सिस्टम के प्रचार में कहा था कि वे मुक्केबाजी के लिए रिंग में उतरने से पहले बुलवर्कर पर वर्क आउट करते हैं. उन दिनों उन्हें कैसियस क्ले के नाम से जाना जाता था. बाद में उनके बारे में बहुत कुछ तब जाना जब उनकी आत्म कथा -I am the greatest - Mohmad Ali पढ़ी.
6 फुट 3 इंच लम्बे मोहमम्द अली ने चार शादियां की थीं और नौ बच्चों के पिता थे. उनकी पुत्री लैला अली भी पेशेवर मुक्केबाज है. 17 जनवरी सन् 1942 को जनमे मोहम्मद अली ने अपने खाते में 56 जीत, 37 नाक आउट और महज 5 हार दर्ज की है. उन्होंने तीन बार हेवी वेट विश्व चैम्पियन का खिताब जीतकर एक रिकार्ड कायम किया था. 1981के अंतिम माह में उन्होंने मुक्केबाजी की दुनिया को अलविदा कहा .
अमेरिका में रंगभेद से त्रस्त हो उन्होंने मुस्लिम धर्म को अपना लिया . वे कैसियस क्ले से मोहम्मद अली बन गये . वह दिन 26 फरवरी सन् 1995 का था. रंगभेद के हीं चलते मोहम्मद अली ने वियतनाम के खिलाफ हो रही लड़ाई का पुरजोर विरोध किया और सेना में भर्ती होने से इंकार कर दिया. उनका कहना था कि मैं उन लोगों के खिलाफ क्यों लड़ू जिन्होंने कभी मेरे खिलाफ कभी कोई रंग भेदी टिप्पड़ी नहीं की. इसके चलते उनका मुक्केबाजी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया. उनके खिलाफ मुकदमा हुआ, जिसमें उन्हें 10 साल की सजा हुई. विश्व भर से उस सजा के खिलाफ जब आवाज उठने लगी तो उस सजा को 10 साल के बदले 10 दिन कर दिया गया.
मोहम्मद अली को ढेर सारे पुरूष्कार मिले थै. कई मेडल तो उन्होंने रंगभेद के खिलाफत में नदी में प्रभावित कर दिया था, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी आत्म कथा में की है. उन्हें Sports personality of the century(BBC) और Sportsman of the century(Sports of illustrated)  का खिताब मिला था. सन् 1996 में मोहम्मद अली को अटलांटा ऒलम्पिक ज्योति प्रज्वलित करने का सुअवसर मिला था. इसके अतिरिक्त उन्हें डबल हेलिंक्स मेडल, ओनेरी प्रेसिडेन्सियल सिटीजन मेडल, प्रेसिडेन्सियल सिटीजन मेडल आफ ड्रीम, इंटरनेशनल बाक्सिंग हाल आफ फेम और हालीवुड वाल आफ फेम की भी उपाधि मिली थी.
आखाड़े में अपने बेहतर फुटवर्क व मुक्कों के लिए जाने जाने वाले मोहम्मद अली अपने अंतिम दिनों में पारकिंसन रोग से पीड़ित हो गये थे. 2 जून को उन्हें सांस की तकलीफ की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उनकी तकलीफ और बढ़ती गई. 3 जून सन् 2016 को उन्होंने अंतिम सांस ली. महान् क्रिकेटर सचिन की उनसे मिलने की आस अधूरी हीं रही.
न जी भरकर देखा,
न कुछ बात की.
बड़ी आरजू थी, 
मुलाकात की.
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