सीरिया का सच.

तैमूर लंग ने सन् 1400 में सीरिया में जो तबाही मचाई थी,उससे ज्यादा तबाही आज के दिनों में यहाँ मची हुई है. सन् 2011 में सीरीयाई सरकार ने जो विप्लवियों के चारों तरफ घेरा डाला था ,वह अचानक सशस्त्र संघर्ष में बदल गया. सरकार ने जब विद्रोहियों पर गोलियां चलाई तो विद्रोहियों ने भी जवाबी कार्यवाही की. विद्रोहियों की मदद अरब संघ कर रहा है और सीरीयाई सरकार की मदद रुस सरकार कर रही है. अब हालात यह है कि विद्रोहियों का कब्जा सीरिया के उत्तर पूर्व के  इलाके पर हो चुका है. सीरीयाई सरकार मात्र 30 - 40 प्रतिशत भू भाग और 60 प्रतिशत जनता पर अब राज कर रही है.
तैमूर लंग के आक्रमण के बाद सीरिया में काफी तहस नहस हुआ. बाद के दिनों में 16 -20 वीं शताब्दी तक यह उस्मानी साम्राज्य का अंग सीरीया बना रहा. उसके बाद इस पर फ्रान्स का आधिपत्य रहा, जो सन् 1946 तक रहा. अप्रैल सन् '46 में फ्रान्स से स्वाधीन होने के बाद से सीरीया पर अब तक बाथ पार्टी का कब्जा है.
सन् 1963 से सीरिया में आपात काल लागू है.यहाँ के शासक असद परिवार के लोग हैं. असद परिवार ने आपात काल लागू करने का कारण इसराइल से युद्ध और विद्रोहियों द्वारा दी गई की धमकी को बताया है.
इसराइल, सीरीयाई सरकार, विद्रोही गुट "जबात - उल -नसरा " के बीच सीरीया की आम जनता पीस रही है. 40 लाख शरणार्थी आज देश से बाहर जाकर दर-ब-दर हो रहे हैं. भूखमरी चरम पर है. लोग घास की रोटी खाने पर मजबूर हैं. रुस 30 सितम्बर 2015 से हवाई हमले जारी किए हुए है. विद्रोहियों ने रुस के एक यात्री विमान को मार गिराया है. हर तरफ तबाही का मंजर है. इंसान की मौत दोनों तरफ हो रही है. अरब, अमेरिका, यूरोपीय संघ व अन्य देशों ने प्रदर्शनकारियों पर हो रहे जुल्म की कड़ी निंदा की है. खूनी मंजर कैसे रुके?  कौन रोके?
बंधकर इतना बरस रहा है खून.
छूटकर निकले तरस रहा है खून.
No photo description available.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आजानुबाहु

औरत मार्च

बेचारे पेट का सवाल है