लाल कालीन बिछ गयी है कश्मीर की धरती पर

 इन दिनों चिनारों के पत्ते लाल हो जाते हैं । वे गिरना शुरू हो जाते हैं । पूरी धरती लाल कालीन सी हो जाती है । बंगाल के सोना का रंग कुछ ललछौंहा सा होता है । ऐसा प्रतीत होता है कि कश्मीर की पूरी धरती पर ललछौंहा सोना बिखेर दिया गया हो । 

चिनार के पत्ते हथेली की तरह होते हैं । इन पत्तों में आप उंगलियां भी देख सकते हैं । ऐसा लगता है कि किसी चौकोर पत्ते में किसी ने कैंची से काटकर उंगलियां उकेर रखी हों । चिनार के ये लाल पत्ते सिगड़ी जलाने के काम आते हैं । कश्मीरी लोग फैरन के अंदर इन सिगड़ियों को दोनों हाथों से थामे  रहते हैं ।

चिनार के पत्तों का कोयला बहुत देर तक आग की तरह जलता रहता है । इससे यहाँ की भीषण ठण्ड को सहन करने में काफी मदद मिलती है । औरतें भी सिगड़ी फैरन में रखते हैं । एक विदेशी लेखक ने अपने यात्रा वृतांत में लिखा कि कश्मीरी औरतें सामूहिक रुप से जाड़ों में गर्भवती होतीं हैं । दरअसल जाड़ों में सिगड़ी फैरन में रखने से उनका पेट उठा हुआ दिखता है ।

चिनार मूल रुप से ईरान का पेड़ है । सम्राट अशोक ने इसे ईरान से मंगवाकर कश्मीर में लगवाया था । जहाँगीर ने भी बहुत से पेड़ यहाँ लगवाए थे । जहाँगीर ने कश्मीर को धरती का स्वर्ग बताया है । श्रीनगर का निशात बाग उसी का लगवाया हुआ है ।

कश्मीरी चिनार के पेड़ कद काठी में बरगद के पेड़ की तरह दिखते हैं । गर्मी के दिनों में पूरा कश्मीर इन्हीं चिनारों के कारण ठण्डा रहता है । लोग गर्मी से निजात पाने के लिए कश्मीर आते हैं । चिनार के पेड़ कश्मीर के सिवा पूरे भारत में कहीं नहीं उगते। हांलाकि प्रयोग के तौर पर इन्हें नैनीताल में सड़कों के किनारे लगाया गया है ।

कश्मीर की घाटी चिनारों के लाल पत्तों के कारण बड़ी सुरम्य लगती है । इन पत्तों पर चलने से चर्र मर्र की आवाज आती है,जो कानों को सुखकर लगती है । मरने से दो दिन पहले श्रीमती इंदिर गांधी श्रीनगर में यहाँ की लाल धरती देखने आईं थीं । उन्हें कश्मीर का यह कुदरती लाल गलीचा देखना बहुत पसंद था ।

दो दिनों बाद आतंकवाद ने उनके शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया था । उनका शरीर खुद एक लाल कालीन की मानिंद बन गया था । खिंजा के भेष में चिनार के पत्ते झड़ गये थे ।


टिप्पणियाँ

  1. "साहित्य समाज का दर्पण है" इस कथन को आप हम सबके समक्ष निरन्तर कहते आ रहे हैं, साधुवाद ओझा जी।

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