कायम अपनी खुद्दारी रख.
सुप्रसिद्ध सौंदर्य विशेषज्ञा शाहनाज हुसैन अस्सी के दशक में सौंदर्य - क्षेत्र में धूमकेतु बनकर उभरीं थीं. जब उन्होंने 1977 में अपना ब्यूटी सैलून दिल्ली में खोला तो देखते देखते छः माह तक की एडवांस बुकिंग हो गई. इसके पहले जो भी सौंदर्य उत्पाद बाजार में थे, उनमें केमिकल मिले होते थे ; जिससे त्वचा को बाज दफा नुकसान हो सकता था. इसलिए शाहनाज ने विशुद्ध रुप से आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को आधार बनाकर अपने उत्पाद बनाने शुरू किए. उनके यह हर्बल उत्पाद तेजी से दुनियां में प्रतिष्ठा पाने लगे.
शाहनाज ने कील, मुहांसे, झाईं, त्वचा में नमी की कमी, बालों के गिरने की समस्या आदि के लिए आयुर्वेदिक उत्पाद बनाए, जो आज लंदन के हैरिड्स से दुबई के सुल्तान स्टोर्स पर धड़ल्ले से बिक रहे हैं. उन्होंने अपने उत्पादों की विक्री हेतु वूमैंस वर्ल्ड इंटरनेशनल की स्थापना की. इस संस्था का काम शारीरिक संरचना, सौंदर्य व व्यक्तित्व पर प्रशिक्षण देना था. अपने उत्पाद बेचने से पहले वे उत्पाद खरीदने वाले व्यापारी को उसके गुणों से अवगत करा आवश्यक निर्देश देती हैं. इस क्षेत्र में आने से पहले खुद शाहनाज ने दस सालों तक न्यूयार्क, कोपेनहेगन के प्रतिष्ठित पार्लरों में काम व अध्ययन किया था. आज उनकी कम्पनी भारत, दुबई ,लंदन और अन्य देशों के शहरों में फल फूल रही है.
शाहनाज हुसैन ने सत्तर के दशक में सिडस्को में आयोजित सौन्दर्य विशेषज्ञों के वैश्विक सम्मेलन में देश की नुमाइन्दगी की थी. उन्हें देश विदेश से कई एवार्ड मिले थे -
1) ब्रिटेन का लायड्स TSB जेवेल एवार्ड.
2) अमेरिका का लियानादों द विंची डायमंड एवार्ड.
3) जेनेवा का इंटरनेशनल स्टार एवार्ड .
4) द आर्क आफ यूरोप गोल्ड स्टार फार क्वालिटी एवार्ड.
5) राजीव गांधी सद्भावना पुरूष्कार.
6) द 2000 मिलेनियम मेडल आफ आनर.
6) इमेज इंडिया एवार्ड 1985.
शाहनाज हुसैन का जन्म सन् 1940 में हुआ था . इनके पिता एन यू वेग दिल्ली के मुख्य न्यायधीश थे. इनके दादा मीर यार जंग भी हैदराबाद के मुख्य न्यायधीश व नागपुर के गवर्नर थे. शाहनाज व उनके पिता हमेशा इस बात से दुःखी रहे कि शाहनाज की बहुत हीं कम उम्र में शादी कर दी गई. विरोध के बावजूद शाहनाज की मां ने किसी की नहीं सुनी. पिता भी पत्नी के आगे हथियार डाल चुके थे. मां को यह डर था कि बेटी हाथ से निकल जाएगी. 16 साल की उम्र में शादी और उसी उम्र में मां बनने के बाद भी शाहनाज के बढ़ते कदम को कोई नहीं रोक पाया. पति और पिता को उनकी जिद के आगे झुकना पड़ा. ब्यूटिशियन कोर्स की पढ़ाई हेतु उन्हें हां कहनी पड़ी.शाहनाज तुम्हारे जज्बे को सलाम.
मन जीता तो जग जीता,
कायम अपनी खुद्दारी रख.
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