उफ्फ! ये दिसम्बर की सर्दी
कल से चण्डीगढ़ और उसके आस पास के शहरों में हल्की बूंदा बांदी हो रही है । हवा में ठिठुरन बढ़ गयी है । पारा लुढक गया है । ऐसे में रजाई का हीं आसरा है । वैसे हीटर भी लगा सकते हैं, पर वोल्टेज इतना डीम है कि हीटर भी बेचारे बेगाने हो गये हैं ।उनको "बेगानी की शादी में अब्दुल्ला दीवाना " बनने का कोई शौक नहीं रहा है ।
ऐसे हालात में नाश्ता रजाई में हीं मिल जाए तो क्या बुरा है ? लेकिन ऐसा होगा नहीं । आपको रजाई से निकलना होगा । बरना नाश्ता से आपका कोई वास्ता नहीं रहेगा । कहते हैं कि जो बिस्तर पर खाता है , वह अगले जनम में चील बनता है जो गाहे ब गाहे लोगों के जूठन पर झपट्टा मारता रहता है । कोई भी आदर्श पत्नी यह नहीं चाहेगी कि उसका पति चील बने और दूसरों के जूठन पर आश्रित रहे ।
एक और कहानी है । जो बिस्तर पर खाता है वह नींद में बड़बड़ाता है । वाह ! यह तो बड़ी अच्छी बात है । पति बेचारा दिन भर पत्नी की बुड़बुड़ सुनकर नींद में हीं सही बड़बड़ कर अपनी भड़ांस तो निकाल लेगा । लेकिन पत्नियों को यह भी मंजूर नहीं होगा । बड़बड़ या बकबक पर उनका जन्म सिद्ध अधिकार है । इस क्षेत्र में किसी और का अतिक्रमण उन्हें बरदाश्त नहीं होता ।
ठंड में नहाना निहायत हीं एक मुश्किल काम है । गरम पानी से नहाया तो जा सकता है , पर उसके लिए भी कपड़े उतारने होंगे जो की एवरेस्ट पर चढ़ने के समान हीं एक दुष्कर कार्य है । यदि आपने इस दुष्कर कार्य को कर लिया तो आपको जल्दी से जल्दी शरीर पर पानी डाल लेना चाहिए ताकि आपको ठंड से राहत मिल सके । अगर पानी ज्यादा गरम होगा तो आपके मुँह से चित्कार निकलेगी । अगर पानी बेहद ठंडा हुआ तो जाहिर है कि मुँह से सित्कार हीं निकलेगी ।
ठंड में भोजन आप थोक में पचा लेते हैं । गरमागरम आलू के पराठे धनिये की चटनी के साथ खाया जाए । उन्हें गिनने की जहमत भी न उठाया जाए तो किचन में बर्तनों की शामत आ जाती है । बर्तन अकारण हीं गिरने लगते हैं । सौत का गुस्सा कठौती पर निकलने लगता है ।
इन दिनों ए सी , फ्रीज का खर्चा बचता है । जल संरक्षण भी होता है , क्योंकि लोग कम नहाते हैं । बिजली की भी बचत होती है । फिर ऊर्जा का भी संरक्षण हुआ । डाक्टर के पास भी कम जाना होता है । उन बेचारों का तो धंधा मंदा हो जाता है , पर आपकी जेब गरम रहती है । मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों का नामोनिशान भी नहीं रहता ।
सर्दी का मौसम अमीर गरीब की खाई को भी चौड़ी करता है । गर्म कपड़ों के अभाव में सर्दी से ठिठुर कर गरीब की जान चली जाती है । अमीर शाल दोशाला ओढ़कर सर्दी को इन्जाॅय करता है ।
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