पठान जाति की उत्पति और विकास.
पठानों का इतिहास आज से पांच हजार साल पुराना है. इनका सर्वप्रथम जिक्र ऋग्वेद में हुआ है. ऋग्वेद के 44 वें श्लोक में इन्हें "पक्त्याकय " लिखा गया है. इन्हें कई जगह "पक्ता ' भी लिखा गया है. महाभारत काल में पठानों का जिक्र "पस्थ " नाम से किया गया है. जब सुदास ने हस्तिनापुर के राजा संवरण पर आक्रमण किया था, तब "पस्थ " लोगों ने संवरण की सहायता की थी. वस्तुतः पठानों का उद्भव अफगान से हुआ था. इन्हें पश्तून, पख्तून या पठान कहा जाता है. पठान अफगानिस्तान के हिन्दूकूश पर्वत और पाकिस्तान के सिंधु नदी के बीच के इलाके में रहते थे.
अब पठान अफगानिस्तान से निकल भारत, पाकिस्तान व दुसरे मुल्कों में पहुंच गये हैं. मुगल काल में ये सेना के तोपों का संचालन करते थे. इनकी बहादुरी से खुश हो मुगल बादशाहों ने इन्हें मिर्जा बेग की उपाधि प्रदान की थी . आज विश्व भर में इनकी आबादी तकरीबन आठ करोड़ होगी . पठानों का नाक नक्श इस्राइलों से मिलता है. ये अपने को यहूदियों का वंशज मानते हैं,पर धर्म अलग हो जाने के कारण अब इनका यहूदियों से कोई सम्पर्क नहीं रह गया है.
कुछ अफगानी पठान भारत में आकर मनिहारी (सौन्दर्य प्रसाधन बेचने का काम) से जुड़ गये. कुछ सूद पर रूपया उधार देने लगे हैं. भारत के पठान जो हिन्दू से कन्वर्ट हो मुसलमान बने वे राजपूत थे. ये सत्ता के लालच में मुसलमान बने. इनके सरनेम आज भी राजपूतों के हीं हैं. जैसे -भट्टी ,सोलंकी, चौहान, वैसवारा, राणा आदि. इन्हीं पठान राजपूतों ने पिण्डारी के रूप में मराठों के साथ मिलकर मुगलों से टक्कर ली थी. जाटों व सिखों के साथ मिलकर इन लोगों ने अंग्रेजी शासन में लूटमार व उत्पात मचाया था.
पठानों में बहुत उम्दा और बुलंदी पर पहुंचे लोग हैं.शेर शाह सूरी (हिन्दुस्थान के बादशाह) , खान अब्दुल गफ्फार खां (सीमांत गांधी) , दोस्त मुहम्मद खान (भोपाल के नवाब) , मधुबाला (अभिनेत्री) , युनुस खान (क्रिकेटर) , कादर खान (अभिनेता) , शाहरूख खान (अभिनेता) , अयूब खान (पाकिस्तान के तानाशाह) आदि वे नाम हैं, जिन्होंने बुलन्दी की मिशाल कायम की है. मुनव्वर राणा का नाम छुट गया, जिनके शेर मुझे बहुत प्रिय हैं. एक शेर -
बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है.
बहुत ऊंची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है.
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