मोनाल पक्षी - अस्तित्व संकट में .
मोनाल का अन्य नाम नील मोर, कुक्कुट भी है . वैसे इसका जीव साइंस में नाम लोफोफोरस इम्पेजेनस है . यह उत्तराखण्ड का राज्य पक्षी है. हिमाचल का भी यह पहले राज्य पक्छी था ,पर अब हिमाचल ने जुजुराणा को अपना राज्य पक्छी चुना है . नर की लम्बाई 38 इंच होती है,जिसके सिर पर एक कलगी होती है .यह कलगी काला व बैंगनी पुट लिए हुए चटक गहरे रंग की होती है. नर की दुम और गला नारंगी होता है . वहीं मादा नर मोनाल से तकरीबन 10 इंच छोटी होती है. इसका ऊपरी हिस्सा गाढ़ा भूरा और उस पर कत्थई रंग की धारियां होती हैं .दुम और छाती सफेद होती है.
मोनाल एक पहाड़़ी पक्षी है, जो 8 -15 हजार ft की ऊंचाई पर रहती है. इसका जहां मुख्य भोजन फल, फुल और कीड़े मकोड़े होते हैं. भारी बर्फ में भी यह बर्फ हटा ,जमीन खोद कर पेड़ों की मुलायम जड़ें अपने भोजन हेतु निकाल लेते हैं. यह पक्षी आज अरुणांचल, हिमाचल , उत्तराखण्ड, सिकिक्म व भूटान में पाए जाते हैं . ये मौसम के अनुसार अपने रहने के स्थान का बदलाव करते रहते हैं .
जुलाई व अगस्त माह के दौरान नर मोनाल की कलगी अपने आप जमीन पर गिर जाती है, जिसे वह तुरन्त खा लेता है. यही विश्व में बड़ी अनोखी बात है. अगस्त के बाद यह कलगी फिर से बननी शुरू हो जाती है. गौरतलब है कि ये अप्रैल से अगस्त माह तक जोड़े बनाते हैं. मादा एक बार में छः अण्डे देती है.
आज इस पक्षी के अस्तित्व पर संकट के बादल गहराने लगे हैं. हिमाचल में लोग शौकिया तौर पर इसकी कलगी कोट व टोपी में लगाते हैं, वहीं पहाड़ों में हर जगह इसके स्वादिष्ट मांस को लोग चाव से खाते हैं. इस वजह से इसका अवैध शिकार होता है. अब हालांकि हिमाचल सरकार कलगी के लिए लाइसेंस सिस्टम लागू कर रखी है, पर यह जरूरी नहीं कि हर कलगी उसी व्यक्ति की टोपी या कोट में लगी हो ,जो लाइसेंसिएट हो. आज भी धड़ल्ले से इनका शिकार हो रहा है. कमोवेश यही हालत उत्तराखन्ड, अरूणांचल, सिक्किम व भूटान में भी है.अरुणांचल में लोग गुलेल लेकर हर किसी चिड़िया को मांसाहार के लिए मारते फिरते हैं. हिमाचल प्रदेश के 2001 की गणना में कुल 65 हजार मोनाल थे, अब मात्र 15 हजार 2005 की गणना में आकलित हुए हैं. अब तो और कम हुए होंगे. हिमाचल का मोनाल की जगह अब जुजुराणा को राज्य पक्छी घोषित करना भी इसके अवैध शिकार की एक वजह है .अब तो इसकी तस्करी भी होने लगी है. पिछले कई वर्ष पहले बावतपुर हवाई अड्डे पर मोनाल पक्षी का एक जोड़ा एक व्यक्ति के पास से पकड़ा गया था.
मोनाल की घटती संख्या का यही दर रहा तो एक दिन यह रंग विरंगा पक्षी पूरी तरह से बिलुप्त हो जाएगा और हम इसकी तस्वीर केवल किताबों में हीं देखेंगे. यदि भूले भटके कोई मोनाल का जोड़ा नजर आ जाय तो हम यही कहेंगे -
देखो , आहिस्ता चलो,
हां, सोच समझ के पांव धरो,
आवाज न हो जाए कहीं,
मोनाल का एक जोडा़ ,
स्वछन्द विचरण कर रहा है .
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें