मरने के बाद भी खुली रहीं आंखें ..

मेगुएल हर्नेन्दाज का जन्म स्पेन के एक देहाती इलाके में 30 अक्टूबर सन् 1910 को हुआ था. उसके पिता गडे़रिया थे . इसलिए मेगुएल का भी बचपन भेड़ चराते हुए गुजरा . उसने अपने सात भाइयों में से पांच को भूख व कुपोषण से मरते हुए देखा था. हांलाकि वह पढ़ना चाहता था, पर पिता की तरफ से इजाजत नहीं मिली. पिता सोचते थे कि मेगुएल पढ़ने के बाद भेड़ पालने का पुश्तैनी धंधा छोड़ देगा. ग्यारह साल की उम्र में उसे पढ़ने का मौका मिला. मेगुएल दिन में भेड़ें चराता और रात को छुपकर किताबें पढ़ता . जब पिता को पता चलता तो पिटाई हो जाती. चौदह साल की उम्र में वह इतना पारंगत हो गया कि वह महान् स्पेनिश साहित्यकारों को पढ़ना शुरू कर दिया. वह कविताएं लिखने लगा. मिगुएल की पहली कविता एक स्थानीय पत्रिका में छपी थी.
पिता के मना करने के बावजूद मेगुएल मैड्रिड चला गया. उसने सोचा था कि वहां पर वह छोटी मोटी नौकरी करते हुए साहित्य साधना भी करता रहेगा , पर "मेरे मन में कुछ और है, कर्ता के मन कुछ और " की कहावत चरितार्थ हुई. नौकरी नहीं मिली. थक हार कर जब मेगुएल वापस आ रहा था तो आधिकारिक पहचान पत्र न होने के कारण उसे पकड़ लिया गया. पिता ने किसी तरह चंदा उगाही कर उसकी जमानत कराई. सन् 1934 में उसे दुबारा मेड्रिड जाने का योग हुआ .अबकी बार नौकरी मिल गई.सन् 1937 में उसकी शादी जोसिफिना से हुई. मेगुएल जोसिफिना को बहुत चाहता था. उनकी प्यार की निशानी के तौर पर एक बेटा भी पैदा हुआ था, जो चिकित्सीय कमी के कारण दम तोड़ गया. मेगुएल की लेखनी अबाध गति से चल रही थी. उसके कंठ में पेड़ों के सर सर मर मर और चिडियों की चहचहाहट थी तो बन्द खिड़कियों के अंदर की चीत्कार भी  . उदय प्रकाश का अनुदित उसकी कविता की दो लाइनें प्रस्तुत हैं -
मैं एक जेल हूं, एक कैदखाना ;
जिसकी खिड़कियां ,
एक विराट चीखते हुए ,
सन्नाटे की ओर खुलती हैं.
फासीवाद का विरोध करने पर मेगुएल को तत्कालीन सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. फांसी की सजा सुना दी गयी. परन्तु फांसी होने से पहले हीं उसे तपेदिक हो गया. जेल में उसे लिखने के लिए कागज नहीं दिया जाता था. मेगुएल अपने चिथड़ों पर कविता लिखा करता था. वह अपनी पत्नी को बहुत याद करता था ,लेकिन उसे पत्नी से मिलने नहीं दिया गया .28 मार्च सन् 1942 को उसकी मृत्यु हो गई . जेल प्रशासन का कहना था कि मरने के बाद उसकी आंखें खुलीं थीं ,जिन्हें मुश्किल से बन्द किया गया.
मरने के बाद भी मेरी आंखें खुली रहीं,
ये मेरे इंतजार की हद थी.
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