मन में जागे रे उमंग , चटनी हो समोसे के संग.

समोसा आटा या मैदा में मसालेदार आलू या मीट भरकर तैयार किया जाता है. इसका आकार तिकोना होता है, जो अक्सर तलकर बनाया जाता है. कभी कभी इसे बेक भी किया जाता है . समोसा हजारो साल से इस देश में अपना पांव जमाए हुए है. इस दौरान यह छोटा बड़ा तो हुआ है ,पर इसका तिकोना आकार जस का तस है. अब समोसा के कई प्रकार की वेराइटिज हो गई हैं - यथा - आलू समोसा, पास्ता समोसा,  नूडल समोसा ,पनीर व मावे का समोसा और मीट भरा समोसा.अब तो मीठा समोसा भी बनने लगा है. लेकिन जो मजा आलू समोसा में है, वह किसी और तरह के समोसे में नहीं है.
हम दिल्ली भी घूमे,
लाहौर भी हो आएं .
पर, ये यार ! तेरी गली ;
तेरी गली है.
पूरे उत्तर भारत में आलू समोसा लोकप्रिय है तो गोवा में मीट समोसा. समोसे का आकार चूंकि शिंघाड़ा(पानी फल)की तरह है,इसलिए बंगाल, उड़िसा, असम आदि प्रान्तों में इसे शिंघाड़ा कहते हैं .
कुछ लोगों का मत है कि समोसे की खोज उत्तर भारत में हुई .वहां से इसकी रेसपी पूरे भारत में फैली . कुछ का कहना है कि यह मध्य एशिया का व्यंजन है ,जो व्यापारियों के मार्फत् इस देश में आया .14 वीं शताब्दी में प्रसिद्ध इतिहासकार इब्नेबतूता भारत आए थे. उन्होंने मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार में मीट ,मूंगफली से भरा हुआ समोसा परोसे जाने का जिक्र किया है. इसका तात्पर्य यह कि 14 वीं शताब्दी तक भारत में समोसा खाने का प्रचलन शुरू हो गया था.
आज समोसा अरब गणराज्य, अफ्रीका और पूरे दक्षिण एशिया में फैल चुका है .भारतीय मूल की अन्तरिक्ष यात्री सुनीता विलियम भी समोसे की दीवानी हैं. अन्तरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद उन्होंने कहा था कि वे समोसे को बहुत मिस कर रहीं थीं . लालू यादव की भी तुलना  समोसे के आलू से की जाती है, जो समोसे की लोकप्रियता को हीं दर्शाती है.
जब तक समोसे में आलू,
बिहार में रहेगा लालू.
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