सेल्फी एक अंर्तराष्ट्रीय रोग हुआ.
आजकल सेल्फी लेने का एक जबरदस्त क्रेज चल पड़ा है. एक सेल्फी लेने के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. मुम्बई का साहिल नवीं क्लास का छात्र था. दो दिन पहले हीं उसने नई मोबाइल खरीदी थी. सेल्फी लेने के लिए मालगाड़ी के डिब्बे पर चढा़ और हाई टेन्सन वायर के सम्पर्क में आ जाने से उसकी मौत हो गई. इसी तरह से कई लड़के चलती ट्रेन से लटककर, आती हुई ट्रेन के पास जाकर सेल्फी लेने के चक्कर में मृत्यु को वरण कर लेते हैं.जुनून को जानलेवा बना देते हैं लोग.ऐसे हीं साउथ के किसी समंदर के किनारे लड़कियां सेल्फी ले रहीं थीं. अचानक लहरें ऊंची उठीं और तीनों लड़कियां डूबने लगीं. दो को तो बचा लिया गया, पर तीसरी को बचाया नहीं जा सका. तीसरी को बचाने के चक्कर में गया स्थानीय लड़का भी डूब गया.
एक जमाना था, जब फोटो लेना फोटोग्राफर का हीं काम था. अब दौर बदल गया है. तकनीक बदल गई है. जब जहां मर्जी हो मोबाइल निकालो और सेल्फी ले लो. विशेष तौर पर लड़कियां सेल्फी सुबह की, शाम की, विना मेकअप के, मेकअप के साथ, ग्रुप फोटो की सैकडो़ फोटो खिंचती हैं, जिनमें अच्छी लगने वाली कुछेक फोटो को छोड़ बाकी डिलीट कर देती हैं. पंकजा मुंडे भी ऐसी लड़की हैं, जो कि महाराष्ट्र के लातूर के सूखाग्रस्त क्षेत्र में जाकर भी सेल्फी लेना नहीं भूलतीं. हमारे प्रधान मंत्री मोदी जी को भी सेल्फी लेने का बहुत शौक है. 2014 में वोट डालने के तुरन्त बाद बाहर निकल उन्होंने कमल चुनाव चिन्ह के साथ सेल्फी लेनी शुरू कर दी थी.
मोदी जी का एक अभियान चला था -सेल्फी विद डाटर. इस अभियान पर सोशल एक्टीविस्ट कविता कृष्णन ने ट्वीट किया, " ये वही मोदी जी हैं, जिन्होंने एक बेटी का पीछा कराया था. " उस पर फिल्मीं दुनिया के सीधे सादे बाबूजी टाइप अभिनय करने वाले बाबू आलोकनाथ ने कविता को कुतिया कह दिया. हांलाकि हंगामा होने पर उन्होंने अपना ट्वीट वापस ले लिया, पर उनके व्यक्तित्व को जो नुकसान होना था, वह तो हो चुका था.
जोहांसवर्ग में नेल्सन मंडेला को श्रद्धान्जलि अर्पित करने के लिए एक सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें अमेरिका के बराक ओबामा, ब्रिटेन के प्रधान मंत्री डेविड कैमरन, डेनमार्क के प्रधानमंत्री हेलिंग थार्लिंग शि्मट शामिल हुए थे. तभी डेनमार्क की प्रधानमंत्री सुश्री शि्मट ने बराक ओबामा के साथ एक सेल्फी ली. इस सेल्फी के चलते बराक ओबामा और शि्मट की बहुत किरकिरी हुई, कारण वे एक श्रद्धांजलि सभा में आ शोक की बजाय सेल्फी ले आनन्द मना रहे थे. वहीं एक गैर औरत का अपने पति के साथ सेल्फी लिए जाने पर मिशेल ओबामा का चेहरा भी सख्त हो गया था.
बुलंदशहर की महिला डी एम के साथ एक युवक का सेल्फी लेना बहुत मंहगा साबित हुआ. उसे 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. दरअस्ल वह युवक बिना डी एम के इजाजत के उनके दफ्तर में घुस उनके साथ सेल्फी लेने लगा था. जब डी एम महोदया ने उससे सेल्फी डिलीट करने को कहा तो वह अकड़ने लगा कि मोबाइल उसकी है, इसलिए मर्जी उसकी चलेगी कि वह फोटो डिलीट करे या न करे. फिर डी एम महोदया ने अपनी मर्जी दिखाई.
सेल्फी के क्रेजी लोग औसतन एक दिन में 14 सेल्फी लेते हैं . सेल्फी से एक बात तो तय है कि इसने इन्सान को आत्म निर्भर बनाया है. यदि परिवार है तो पूरे परिवार का सेल्फी की मदद से सभी का फोटो लिया जा सकता है. किसी के छूटने का चांस हीं नहीं है. सेल्फी का सिस्टम न आया होता तो पुरे परिवार के फोटो के लिए किसी अन्य से दांत चियारना पड़ता.
मैं जब हाल हीं में कलकत्ता से लौट रहा था, तो गुड़गांव (अब गुरूग्राम होने वाला है) वाले मेरे सबसे बड़े पोते अपने पापा मम्मी के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मुझसे मिलने पहुंचे. मैंने सर्वप्रथम उनकी फरमाइशें पूरी कीं.बाद में उनके साथ एक सेल्फी खिंचवाई. सेल्फी अच्छी नहीं आई. अनाड़ी हाथों में अभी कुशलता नहीं आ पाई है. इसलिए हो सकता है कि कुछ लोग इस सेल्फी को देख हंसे. उनके लिए एक शेर हाजिर है -
तरस न खाओ मुझ पर,
बेचारा नहीं हूं मैं.
कोशिश में हूं जीतूंगा,
अभी हारा नहीं हूं मैं.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें