एक दर्द जिगर में होता है.
कहते हैं कि एक आदमी की तपस्या से खुश हो, भगवान ने उससे वर मांगने के लिए कहा. शर्त यह थी कि वह अपने किसी एक अंग के हीं सही तरीके से काम करने का वर मांग सकता था. उस व्यक्ति ने कहा, मेरा जिगर जीवन पर्यन्त काम करता रहे. इस तरह से उसने अपने शरीर के सभी अंगों की सेहत मांग ली. जब आपका जिगर सही काम करता है तो शरीर के सभी अंगों की दशा ठीक रहती है. जिगर का यदि 30% हिस्सा भी काम कर रहा है तो आदमी स्वस्थ व सानन्द बना रह सकता है. कई लोगों का जिगर का बरबाद हिस्सा काटकर अलग कर देने के बावजूद वे सामान्य जीवन जी रहे हैं.
जिगर उर्दू का शब्द है. गालिब ने जिगर पर एक शेर लिखा है, जो गालिबन हर उम्र के लोगों की पहली पसंद है -
कोई मेरे दिल से पूछे कि तेरे तीर -ए-नीमकश को,
वो खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता.
हिन्दी में इसे यकृत और अंग्रेजी में लीवर कहते हैं. लीवर दिमाग के समान्तर अपना एक अलग साम्राज्य चलाता है. उसे चाहे कितनी तकलीफ, पीड़ा हो वह अपने आप सहता है. कोशिश करता है कि तकलीफ का निदान अपने आप हो जाय . जब लीवर के वश की बात नहीं रह जाती और पानी सर के ऊपर बहने लगता है, तब वह दिमाग को संदेश भेजता है कि अब मेरे वश की बात नहीं ,लेकिन तब तक बहुत देर हो गई होती है. इसलिए लीवर रोगों की पहचान के लिए हर साल lft test (liver function test) करवाते रहना चाहिए. हमारे आई टी बी पी के एक कमान्डेन्ट श्री टेक चन्द ने सुविधा के बावजूद इस टेस्ट को आलस वश नहीं करवाया. सेवानिवृति के बाद उनको लीवर सिरोसिस होने का पता चला . कुछ दिनों बाद हीं वे काल कवलित हो गए थे .
लीवर के लिए हिमालयन ड्रग की एक पेटेंटेड दवा है liv 52 , जो कि हर्बल दवा है. इस दवा में केपर्स, कासनी, मकोय, अर्जुन आदि जड़ी बूटियां हैं, जिसकी प्रभावशीलता 250 शोधों से प्रमाणित हो गई है. liv 52 आज 65 देशों में बतौर लीवर टानिक बिक रहा है. अमेरिका में यह liver care ® के नाम से जाना जाता है. liv 52 को आज हर जगह हेल्थ सप्लीमेंट के तौर पर देखा जा रहा है. यदि आप इसे विना रोग के भी लेते हैं तो आयुर्वेदिक होने के कारण इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा, बल्कि आप लीवर रोग से दूर रहेंगें और आपका लीवर मजबूत होगा . liv 52 भारत में बिक्री के मामले में सबसे ऊपरी पायदान पर है.
लीवर पेट का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण ग्रन्थि है. यह पेट के नीचे की ओर दाहिनी ओर स्थित है. इससे विलरुबीन व दुसरे पाचक रस निकलते हैं, जो भोजन को पचाने में सहायक होते हैं. लीवर के रोग होने के प्रमुख कारण अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन व धूम्रपान करना, खटाई ज्यादा मात्रा में खाना, नमक का सेवन अधिक करना, शरीर में विटामिन B की कमी होना, दूषित भोजन या पानी का सेवन और टायफायड या मलेरिया से पीड़ित होना हैं. ज्यादा मात्रा में एंटी बायटिक दवाएं लेने से भी लीवर के रोग उत्पन्न हो सकते हैं.
लीवर रोग के लक्षण - मुंह से बदबू आना, लीवर वाली जगह पर दबाने से दर्द होना, छाती में जलन और भारीपन, भूख न लगना, बदहजमी होना, पेट में गैस बनना, थकान व कमजोरी महसूस करना, लीवर में सूजन होने से पेट उठा हुआ होना आदि हैं. लीवर का इलाज करने से पहले लीवर में रहे पुराने खून की सफाई करना अति आवश्यक है. किसी लीवर एक्सपर्ट को दिखाना चाहिए. साथ हीं साथ आवश्यक परहेज व दिनचर्या में आवश्यक बदलाव लाकर लीवर रोग पर काबू पाया जा सकता है.
सर्वप्रथम् सुबह उठते हीं तीन चार गिलास तांबे के बरतन में रखा गया पानी पिएं. तांबे में रखा गया पानी पेट साफ करने में सहायक होता है. खाली पेट अनुलोम, विलोम, भस्त्रिका, उद्गीथ प्राणयाम कर किसी पार्क में कम से कम 30 मिनट टहलना चाहिए. गहरी गहरी सांस लेकर फेफड़ों में ताजी हवा भरना चाहिए.टहल कर आने के बाद अंकुरित अनाजों का नाश्ता करना चाहिए. फलों या सब्जियों का मिश्रित जूस लें. सप्ताह में एक बार सरसों तेल की मालिश जरूर कराएं. मिट्टी का लेप लगाकर सप्ताह में एक बार वाष्प स्नान जरूर करें. रात को सोते समय दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीना लीवर के लिए बहुत हीं गुणकारी होता है. लीवर सिरोसिस में प्याज प्रतिदिन सौ ग्राम जरूर खाना चाहिए. सेव का सिरका, अल्सी का बीज, गन्ने का रस, मूली के रस का सेवन करना चाहिए. सब्जी में पालक, पेठा, गाजर, शलजम, लौकी, तोरी आदि और फलों में अमरूद, तरबूज, नाशपाती, पपीता, जामुन व आंवला खाना चाहिए.दवा के साथ साथ मन की शान्ति के लिए ध्यान लगाना चाहिए.
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