ऐसा ये अपना रिश्ता है.

योग वशिष्ठ रामायण का दृष्टांत है . उत्तरी कौशल के राजा दशरथ का विवाह दक्षिणी कौशल के राजा की पुत्री कौशल्या से हुआ था. दक्षिण कौशल के राजा का कोई पुत्र न होने के कारण दशरथ को स्वमेव हीं दक्षिण कौशल का भी उत्तराधिकार प्राप्त हो गया. उत्तरी व दक्षिणी कौशल दोनों को मिलाकर एक वृहत्तर कोशल राज्य की स्थापना महाराज दशरथ ने की. विवाह के बाद कौशल्या ने एक बच्ची को जन्म दिया, जो विकलांग पैदा हुई . इसका कारण खोजने पर पंडितों ने बताया कि दशरथ और कौशल्या एक हीं गोत्र के थे, इसलिए विकलांग बच्ची का जन्म हुआ.विवाह के समय उनके सगोत्रीय होने का पता नहीं चल पाया था. उस बच्ची का नाम शांता रखा गया.अंग देश में ब्याही कौशल्या की बहन निःसंतान थीं. इसलिए उस बच्ची को दशरथ और कौशल्या ने उन्हें दान कर दिया .
आज भी खाप पंचायतें सगोत्रीय विवाह को मान्यता नहीं देतीं. यदि सगोत्रीय विवाह हो भी जाते हैं तो खाप पंचायतों में उनके लिए बहुत कड़ा दण्ड विधान है . हरियाणा , पश्चिमी उत्तर प्रदेश , राजस्थान और दिल्ली में इन पंचायतों का बोलबाला है .कई बार ये पंचायतें मृत्यु दण्ड की सजा का भी एलान कर देती हैं. अब इन खाप पंचायतों के खिलाफ लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगे हैं, जिससे ये पंचायतें निष्क्रिय होने लगी हैं. इन पंचायतों से एक फायदा यह था कि समाज में व्याभिचार कम था. एक हीं वंश, कुल के लोग आपस में मर्यादा का पालन करते हुए सदाचार का जीवन जीते थे. ;  परन्तु मृत्यु दण्ड जैसे तुगलकी फरमान को भी किसी भी एंगल से सही नहीं ठहराया जा सकता .
पहले गोत्र एक न होने पर मामा की लड़की से शादी हो जाया करती थी. कुन्ती वासुदेव की सगी बहन थी. इस नाते कृष्ण और अर्जुन आपस में भाई हुए. अर्जुन की सुभद्रा ममेरी बहन हुई, पर गोत्र अलग होने के कारण दोनों की शादियां हुईं. उत्तरा और उत्तर कुमार दोनों भाई बहन महाराज विराट की संतान थे. इस नाते दोनों की संतानें भी आपस में भाई बहन हुईं , पर गोत्र अलग होने के कारण इन संतानों  का भी आपस में विवाह हुआ . उसी तरह से गोत्र अलग होने के कारण सिद्धार्थ का विवाह अपनी ममेरी बहन यशोधरा से हुआ था. आज भी महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र और तामिलनाडु में ममेरी बहन से शादियां हो रहीं हैं. मुस्लिम समाज में मात्र दूध का बरावगा है.दूध पीते भाई बहन अर्थात् एक माता पिता की सन्तान को छोड़ शेष ममेरी, चचेरी, फूफेरी बहनों से शादियां हो सकती हैं
गोत्र की बात विज्ञान नहीं मानता. विज्ञान मानता है कि आपकी ममेरी बहन से शादी हुई है तो वह शादी रक्त सम्बन्ध में हुई है, चाहे गोत्र अलग हीं क्यों न हो  .रक्त सम्बन्ध की इजाजत विज्ञान नहीं देता. रक्त सम्बन्ध में हुई शादी से उत्त्पन्न संतान अपाहिज हो सकती है. कई तरह के अनुवांशिक रोग रक्त सम्बन्धों के कारण पीढ़ियों तक बने रहते हैं. इसलिए नई पीढ़ी को आगे आ कर पुरानी परम्पराओं व मान्यताओं को तोड़ना होगा . रक्त सम्बन्धों में शादियां न कर एक सेहत मंद परिवार का अभिकल्पन करें. इस सम्बंध में सोवियत रूस स्थित एक मुस्लिम देश ने पहल की है और रक्त सम्बन्धों पर बैन लगा दिया है. इसी तरह का बैन अन्य मुस्लिम देशों को भी करना चाहिए. हिन्दू संघ को भी ऐसी शादियों पर बैन लगाना चाहिए. दूसरे अन्य धर्मावलम्बियों को भी, जहां इस तरह की शादियों का प्राविधान है, उन्हें अपने समाज को इस कुप्रथा से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए.
रक्त सम्बन्धों से इतर विवाह का एक अपना सुख व अस्तित्व है. दो अन्जान अन्चीन्हें लोग जब आपस में मिलते हैं तो दो संस्कृतियों का मिलन होता है. एक दूसरे के जानने समझने का अवसर मिलता है  आपस का समझौतावादी दृष्टिकोण पनपता है. ,कूप मण्डूक से इतर भी दुनियां है का पता चलता है. वैज्ञानिक पहलू के अतिरिक्त इस सामाजिक दर्शन को भी आप दरकिनार नहीं कर सकते.
बेनाम सा रिश्ता यूं पनपा है,
फूल से जो भंवरा लिपटा है.
पलकें, आंखें, दिया और बाती  ;
ऐसा ये अपना रिश्ता है.
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