दही का स्वाद, मधुमेह से पहले, मधुमेह के बाद.
वैज्ञानिकों को कहना है कि हफ्ते में तकरीबन सात सौ ग्राम दही जरूर खाना चाहिए, जिससे शरीर में ग्लूकोज का स्तर सामान्य बना रहता है. कोलोस्ट्राल का स्तर मानिटर होता रहता है. आम तौर पर यह धारणा है कि दूध के प्राडक्ट से कार्बोहाइड्रेट की मात्रा में इजाफा होता है, जो कि रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ाता है. साथ हीं दूध के प्राडक्ट से कोलोस्ट्राल का स्तर बढ़ता है. लेकिन यूनिवर्सिटी आफ कैम्ब्रिज के ताजातरीं शोध से पता चला है कि दही खाने से टाइप -2 डायविटिज का 28%खतरा कम हो जाता है. इस शोध में 25 हजार स्त्री पुरूषों को शामिल किया गया था.
डायविटीज एक बहुत हीं खतरनाक बीमारी है, जिससे किडनी व दिल की बीमारियां , गैंगरीन ,अंधापन और मसूड़ों में सूजन की कई बीमारियां हो जाती हैं. आज विश्व में तकरीबन 37 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं. 28 करोड़ कतार में हैं. उम्मीद है कि 2030 तक 50 करोड़ लोग इसकी जद में आ जाएंगे. डायविटीज को खान पान , व्यायाम आदि के द्वारा काबू में लाया जा सकता है.
खान पान में दही को शामिल करना एक बहुत
पुरअसर तरीका है. जिन लोगों को डायविटीज ने अपने गिरफ्त में ले लिया है, उन्हें कम फैट वाली दही खानी चाहिए. 30 से 60 साल के लोगों पर 11साल तक किए गये शोध से बड़े आश्चर्य जनक परिणाम आए हैं. जिन लोगों के ब्लड में कोलोस्ट्राल व ग्लूकोज का स्तर बढ़ा था, उन्हें कम फैट वाली दही हर रोज 300 ग्राम खाने को दी गई. जांच से पता चला कि उनका कोलोस्ट्राल व ग्लूकोज का स्तर सामान्य स्तर पर पहुंच गया था.
दही में डायविटीज को रोकने के लिए आश्चर्य जनक तत्त्व हैं. अतः आप हर रोज अपने भोजन में दही को शामिल करें. आज से दही जमाना शुरू करें. शर्त यह है कि दूध कम फैट वाला हो और वह फटे नहीं. दूध फट जाएगा तो वह जमेगा नहीं. मशहूर गजलकार सूर्य भानु गुप्त के शब्दों में -
लाख कुछ कीजिए नहीं जमता,
फट जाए दूध तो दही लेकिन.
अपना मुंह तो आइने में देखिए,
बात हमने खरी कही लेकिन.
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