तख्त, तलवार और तैमूर.
तैमूर लंग एक भेड़ चुराने वाला चोर था. वो एक बार भेड़ चुरा रहा था तो चरवाहों के तीरों के जद में आ गया. तीर उसके दाहिने कन्धे व कुल्हे में लगे,जिससे उसका दाहिना अंग सुन्न हो गया. वह लंगड़ा कर चलने लगा. इसलिए उसे तैमूर -ए-लंग कहा जाने लगा, जो बाद में विगड़ कर तैमूर लंग हो गया अर्थात् लंगड़ा तैमूर.
अब तैमूर लंग ने अपने जैसे चोरों की एक सेना बनाई और आस पास के कबीलों को जीतना शुरू किया. जब समरकंद का मंगोल राजा की मृत्यु हो गई तो तैमूर ने उस पर अधिकार कर लिया. उसने 1380-1393 तक खुरासान, सीस्तान, अफगानिस्तान, फारस ,कुर्दीस्तान और मेसोपोटामिया पर अधिकार करने के बाद भारत की तरफ रूख किया.
भारत में उन दिनों तुगलक वंश का शासन था. उनकी हालत बड़ी दयनीय थी. तैमूर लंग ने 1398 में अपने पोते पीर मोहम्मद को आक्रमण हेतु भेजा. छः माह तक घेरा डालने के बाद पीर मोहम्मद ने मुल्तान पर कब्जा कर लिया. उसके बाद तैमूर लंग ने एक बहुत बड़ी सेना के साथ दिल्ली की तरफ कूच किया. रास्ते में आए सभी राज्यों को तहस नहस करते हुए और मन्दिरों को धाराशाई करते हुए वह दिल्ली पहुंचा. तुगलक शासक महमूद ने एक बहुत बड़ी सेना लेकर तैमूर का मुकाबला किया. हारने के बाद वह गुजरात की तरफ भाग गया.
पांच दिन तक बुरी तरह से तैमूर लंग ने दिल्ली को लूटा. पीढ़ियों से संचित सम्पति को लूट वह अपने साथ समरकंद ले गया. एक लाख कैद किए हुए तुगलकी सैनिकों का तैमूर ने सामूहिक कत्ल करवा दिया. मारे गये सैनिकों की खोपड़ियों का उसने पिरामिड बनवा कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. वह बहुत हीं निष्ठुर आक्रान्ता था. एक बार उसने जिन्दा दो हजार लोगों का पिरामिड बनवा उन्हें ईंट से चिनवा दिया था. उसने 9 जनवरी 1399 को मेरठ, हरिद्वार और 16 जनवरी को कांगड़ा व जम्मू में भी मार काट व लूट मचाई. 19 मार्च 1399 को तैमूर लंग सिन्धु नदी पार कर वापस अपने वतन समरकंद लौट गया.
तैमूर लंग का जन्म 6 अप्रैल सन् 1336 में शहर-ए-सब्ज उज्वेगिस्तान में हुआ था. वह चंगेज खान की तरह विश्व विजय का सपना देखता था. उसकी गणना संसार के निष्ठुरतम शासकों में होती है. सन् 1400 में उसने अनतोलिया, सन् 1402 में आटोमन तुर्कों को हराकर अपने जीवन काल में एक भी युद्ध नहीं हारने का नानब्रेकेबल रिकार्ड बनाया. सारे मुगल बादशाह तैमूर के हीं वंशज थे. वह चीन पर आक्रमण करने के लिए भी तैयारी कर रहा था, पर उसी दौरान उसकी मृत्यु 19 फरवरी सन् 1405 में हो गई.
तैमूर लंग का पश्चिम एशिया से मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में भारत तक का विजित क्षेत्र उसके मरने के बाद तहस नहस हो गया. निष्ठुरता से प्राप्त साम्राज्य इतनी आसानी से खत्म हो जाएगा,इसका इल्म तो तैमूर लंग को भी नहीं होगा.
तख्त, तलवार और तैमूर.
कितना निर्मम और क्रूर.
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