जी हां, मैं भी एक डायन हूं.

2013 में बिहार के भागलपुर जिले के नाथनगर थाना के अंतर्गत् दिलदार पुरा गांव के बिंद टोला की एक 70 वर्षीय महिला को डायन होने के शक में पीट पीट कर अधमरा कर दिया गया.उसके परिजनों ने जब उसे बचाना चाहा तो दबंगों ने उन्हें भी मारा. संयुक्त राष्ट्रसंघ के एक रिपोर्ट के अनुसार सन् 1987 से 2003 तक 2,556 महिलाओं को डायन के आरोप में मार दिया गया है. इसके पीछे एक कारण अंधविश्वास है. अन्य कारण सम्बंधित महिला को सम्पति से बेदखल करने , उसकी सम्पति पर कब्जा करने , यौन शोषण का विरोध करने पर, उस महिला को तालाक देने के लिए -इस तरह का आधारहीन आरोप लगा दिए जाते हैं.
इस देश की धर्म ग्रंथों में स्पष्ट लिखा है कि जहां औरतों की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है.
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते,
रमन्ते तत्र देवताः ।।
परन्तु उसी देश में औरत को डायन या टोनहिन बताकर उसे मारना या मार डालना कहाँ का न्याय है ? किसी की गाय ने दूध देना बंद कर दिया, किसी का बच्चा वीमार पड़ गया या कुएं का पानी सूख गया तो हम इसे डायन या टोनहिन की कारामात समझने लगते हैं. तथाकथित डायन या टोनहिन के साथ बहुत हीं अमानवीय व्यवहार होने शुरू हो जाते हैं. किसी का माथ मूड़ चेहरा बदरंग कर देना, सरे आम किसी को निर्वस्त्र कर भरे बाजार में घुमाना आदि घृणित व अमानवीय कृत्य हैं.
इप्सिता राय चक्रवर्ती ने कनाडा से प्राचीन संस्कृतियों एंव पौराणिक मान्यताओं की पढ़ाई की. शादी के बाद वे भारत लौट आईं.भारत आकर उन्होंने डायन के नाम पर औरतों पर लोमहर्षक अत्याचार के बारे में पढ़ा और जाना. इप्सिता ने उन औरतों के अत्याचार से दुःखी हो, सबसे पहले अपने आपको डायन घोषित किया. वे विक्की धर्म में दीक्षित हुईं. विक्की अर्थात् बुद्धिमानों की कला. विक्की धर्म एक नया धार्मिक आंदोलन है, जो इंग्लैंड के गेराल्ड गार्डनर द्वारा स्थापित किया गया है. इप्सिता राय चक्रवर्ती ने कुछ छात्रों को एकत्रित किया और लोगों को भूत प्रेत जैसे निराधार बातों पर विश्वास न करने के लिए प्रेरित किया. इप्सिता ने बहुत सारे देशों में फैले भ्रामक अंधविश्वासों का तुलनात्मक अध्ययन किया और इस नतीजे पर पहुंची कि डायन का अस्तित्त्व हीं नहीं है.
इप्सिता राय चक्रवर्ती ने इस सम्बन्ध में तीन किताबें भी लिखीं हैं. 2006 में स्थापित इप्सिता की विकेन ब्रिगेड ने अंधविश्वास उन्मूलन हेतु बहुत हीं सकरात्मक कदम उठाएं हैं. कई तथाकथित डायनों के माथे पर लगे हुए कलंक को इस ब्रिगेड ने धोया है और समाज में उन्हें वाजिब जगह दिलाई है. इप्सिता की बेटी दीप्ता चक्रवर्ती ने अपनी मां से विक्की धर्म की दीक्षा ली है. वह निष्ठा पूर्वक इस काम में अपनी मां का हाथ बंटा रहीं हैं.
यदि इप्सिता राय चक्रवर्ती फख्र के साथ कहती हैं कि वो एक डायन हैं तो समाज को वो एक संदेश देती हैं कि वो इस प्रथा के उन्मूलन हेतु कितना दृढ़ संकल्प हैं? आइए, आप भी हाथ बढ़ाइए. इस प्रथा को, जिसका कोई इस दुनियां में अस्तित्व हीं नहीं हैं, उसे समूल उखाड़ फेंके. डायन इप्सिता राय चक्रवर्ती के सपनों को साकार करें.
साथी हाथ बढ़ाना,
एक अकेला थक जाएगा,
मिलकर बोझ उठाना.
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