बुझे हुए चेहरे फिर चमक उठे ..

जिन लोगों ने उत्तर प्रदेश के सिलेबस से प्राइमरी शिक्षा ग्रहण की है, उन्होंने ट्राय और स्पार्टा की लड़ाई की कहानी अवश्य पढ़ी होगी. आपके ज्ञान को एक बार ब्रश करने के लिए यह कहानी पुनः दोहरा रहा हूं.
ट्राय का राजकुमार स्पार्टा की रानी हेलेन को अपहृत कर अपने राज्य ले गया. इस अपमान का बदला लेने के लिए यूनान के सभी राजाओं ने मिलकर एक संगठन तैयार कर ट्राय पर आक्रमण कर दिया. सबके सम्मिलित प्रयास से भी ट्राय नगर का फाटक नहीं टूटा और न ट्राय नगर के प्राचीर का हीं बाल बांका हुआ. अंततः यूनानी सेना ने एक चाल चली. उन्होंने ऐसा दर्शाया कि वे वापस जा रहे हैं. सामान समेटा जाने लगा.  इस तरह की हलचल देख ट्रायवासी बहुत खुश हुए.
जब ट्रायवासी अगली सुबह उठे तो उन्होंने देखा कि ट्रायवासी जा चुके हैं. केवल एक लकड़ी का विशाल काय घोड़ा वहां छोड़ गये थे. ट्राय वासी उस घोड़े को खिंचकर अपने दुर्ग में ले गये. रात को जश्न मनाया गया. शराब के नशे में जब ट्रायवासी धुत्त होकर सो रहे थे, तभी उस खोखले घोड़े से निकल यूनानी सैनिकों ने मुख्य द्वार खोल दिया. यूनानी सेना कहीं नहीं गई थी . वो पास हीं कहीं छिपे थे. वो सभी ट्राय नगर में प्रवेश कर गये.भयंकर मार काट मची. ट्राय नगर बरबाद हो गया . वैसे हीं जैसे लंका नगरी जल के स्वाहा हुई थी. सीता जैसे राम को मिली, वैसे स्पार्टा के राजा को हेलेन मिली. अंतर इतना था कि किसी ने हेलेन से अग्नि परीक्षा नहीं ली. सब यूनानियों के चेहरे चमक रहे थे.
बुझे हुए चेहरे फिर चमक उठे,
आ गई ये कैसी बे मौसम बहार.
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