मखमली आवाज के जादूगर - जगजीत सिंह.

श्री गंगानगर राजस्थान में जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी सन् 1941 को हुआ था. ये कुल 7 भाई बहन थे. पिता की इच्छा थी कि ये पढ़ लिख कर IAS आफिसर बनें. यदि IAS ऒफिसर न बने तो कम से कम इंजीनियर या डाक्टर तो जरूर बनें. हरि इच्छा बलियसि. जगजीत की रूचि तो संगीत में थी. जगजीत ने संगीत गुरूद्वारों में रागियों के साथ सबद गाते हुए सीखी. प्रसिद्ध संगीत कार पं छगन लाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान के शिष्य भी रहे. पढ़ाई में कुछ खास नहीं थे. बाज दफा एक हीं क्लास में दो दो साल रहे, परन्तु पिता की इच्छा को सम्मान देते हुए जगजीत सिंह ने आगे पढ़ाई जारी करते हुए जालंधर के डिग्री कालेज से ग्रेजुएट और इतिहास में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त  की.
पिता का आदेश लेकर जगजीत सिंह अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुम्बई आ गए . यहां आकर उनके सितारे गर्दिश में रहे.मुम्बई में जगजीत ने शादी / ब्याहों में गाकर अपने  खर्चे निकाले. स्कूल व कालेजों के फंक्सनों में  फिल्मी गीत गाए .यदि वे गजल या शास्त्रीय व अन्य संगीत पर आधारित गीत गाते तो लड़के उनको हूट कर देते थे. अत: जगजीत ने गजल को फिल्मी गीतों की तरह गाना शुरू किया व जगजीत चल पडे़. जगजीत सिंह का चित्रा के साथ पहला व प्रसिद्ध एलबम उन दिनों की प्रसिद्ध , उम्दा व स्थापित संगीत कम्पनी HMV द्वारा सन् 76 में निकाला गया. उस एलबम का नाम था - The  Unforgettables.जारी होते हीं इस एलबम को लोगों ने हाथों हाथ लिया. इस नये  एलबम ने सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए ,पर समीक्षकों ने इसे गजल की आत्मा पर प्रहार बताया.  इसके पहले बेगम अख्तर आदि के समय में गजल के एक हीं मिसरे को बार बार दोहराया जाता था ,जो गजल गायकी की समझ रखने वालों को बेशक अच्छी लगती हो , पर आम आदमी बोर होता था. यह आम आदमी के लिए गजल नहीं थी .आम आदमी को गजल फिल्मी गीतों की तरह चाहिए ,जो एक रिदम से शुरू हो तो उसी रिदम पर खत्म भी हो. जगजीत सिंह ने गजल को खास से आम बनाकर उसे आम आदमी तक पहुंचाने का काम किया .
जगजीत तलत महमूद से काफी प्रभावित थे. वे मेहदी हसन से भी प्रभावित थे. उनकी शुरू की गजलें मेहदी हसन के गायिकी से काफी मिलती थीं. जब जगजीत सिंह पाकिस्तान गये थे तो वहाँ के आय का पूरा पैसा मेहदी हसन को देकर आए थे ताकि उनका इलाज हो सके .पति पत्नी-जगजीत चित्रा की इस जोड़ी ने 1970 से 1980 के दशक तक गजल गायिकी में धमाल मचा दिया था. फिल्म "अर्थ "और "साथ साथ " दोनों फिल्मों के गीतों के रिकार्ड सर्वाधिक बिके .बाद में पुत्र विवेक के आकस्मिक निधन की वजह से चित्रा सिंह ने गाना छोड़ दिया. जगजीत सिंह ने अब अकेले हीं गायन शुरू किया. उनकी गायी गजलों के प्रमुख एलबम शहर, मरासिम
, आइना और सिलसिले आज भी मील के पत्थर हैं. उनकी लता मंगेशकर के साथ आई " सजदा " एलबम नान फिल्मी केटेगरी में सर्वाधिक बिकने वाला एलबम बना. उन्होंने मीर, गालिब, मजाज से लेकर फैज फिराक तक और आधुनिक शायरों में बशीर, निदा फाजली, जावेद से लेकर राजेश रेड्डी और आलोक श्रीवास्तव तक के शायरों की गजलों को अपनी आवाज बख्सी .
पांच दशक के अपने लम्बे कैरियर में जगजीत सिंह ने 80 एलबम निकाले. भजन भी गाए.  साथ हीं पूर्व प्रधान मंत्री व कवि अटल बिहारी बाजपेयी के गीतों को स्वर भी प्रदान किया. उन्होंने पश्चिमी वाद्य यंत्रों को गजल गायकी में शामिल कर गजल गायकी को एक और नया आयाम दिया. जगजीत सिंह का यह एलबम Beyond times गजल का पहला एलबम था ,जो डिजीटली रिकार्डेड था .
इसके अतिरिक्त जगजीत सिंह ने कुछ परोपकार के कार्य भी किए हैं -
1. रायल्टी मे शायरों का भी हक दिलवाया. 2. प्रसिद्ध गायक कुमार शानु को सबसे पहले ब्रेक देने वाले जगजीत सिंह हीं थे.
जगजीत सिंह की लोकप्रियता का यह आलम था कि रायल अल्बर्ट हाल में होने वाले कन्सर्ट की टिकटें मात्र तीन घंटे में बिक गयीं थीं . भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाजा था .सन् 2011में पाकिस्तान के प्रसिद्ध गजल गायक गुलाम अली के साथ उनका एक कन्सर्ट होने वाला था. रियाज चल रहा था. अचानक जगजीत सिंह असहज महसूस करने लगे .उन्हें हस्पताल ले जाया गया ,जहाँ वे दो हफ्ते तक बेहोश रहे. अन्ततोगत्वा 23 सितम्बर 2011 को ब्रेन हैमरेज से जगजीत सिंह की मौत हो गई. अब चित्रा सिंह बिल्कुल अकेली रह गई हैं. पहले बेटा गुजरा. बेटी गुजरी .अब पति भी गुजर गए . उनका संसार अब दुख का संसार है. चित्रा की गाई गजल का एक शेर -
मेरे दुख की कोई दवा न करो,
मुझको मुझसे अभी जुदा न करो.
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